मस्जिद में सुबह अजान होने से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति (वीसी) संगीता श्रीवास्तव की नींद में खलल पड़ने और जिलाधिकारी से इस पर कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखने को लेकर विवाद गहरा गया है। वीसी के अनुरोध पर जिलाधिकारी ने मस्जिद कमेटी से लाउडस्पीकर की दिशा बदलने को कहा था। मस्जिद कमेटी ने लाउडस्पीकर की दिशा बदल दी है। इस मुद्दे को लेकर टीवी चैनलों पर भी बहस तेज हो गई है।
टीवी चैनल न्यूज-24 पर डिबेट में एंकर मानक गुप्ता ने पैनलिस्टों से पूछा कि जब इलाहाबाद हाईकोर्ट का साफ आर्डर है कि अजान इस्लाम की इबादत का अहम हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर इस्लाम का हिस्सा नहीं है तो लाउडस्पीकर से अजान की जरूरत क्यों है? इस पर बोलते हुए ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (एआईआईए) के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी ने कहा, “अजान इबादत का हिस्सा है और लाउडस्पीकर इबादत का हिस्सा नहीं है, यह बात बिल्कुल सही है। पहले जमाने में वायु प्रदूषण नहीं था, इतनी गाड़ियां नहीं थी तब बिना लाउडस्पीकर के अजान देने से भी आवाज दूर तक जाती थी, लेकिन अब प्रदूषण बहुत है, गाड़ियां बहुत हैं, इसलिए लाउडस्पीकर से अजान इसलिए दी जाती है ताकि आवाज दूर तक जाए।”
उन्होंने कहा, “लॉकडाउन और उसके बाद भी यह फर्मान हुआ था कि शाम को छह बजे से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर की आवाज काफी कम कर दिया जाए। यह इतनी कम कर दी जाए कि किसी को दिक्कत न हो। यह विरोध पहले भी हुआ था कि जावेद अख्तर और सोनू निगम ने भी विरोध किया था, ये वे लोग हैं, जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। नास्तिक लोग हैं। वीसी साहिबा भी नास्तिक हो सकती हैं।”
जो लोग नास्तिक होते हैं उन्हें ही अज़ान से आपत्ति होती है, जब मंदिरों में शंखनाद और आरती होती है तब कोई आवाज़ नहीं उठाता : मौलाना रशीदी (AIIA अध्यक्ष)@manakgupta #RashtraKiBaat#UttarPradesh #AllahabadUniversity pic.twitter.com/Qeyiu165nU
— News24 (@news24tvchannel) March 17, 2021
कहा, “मंदिर की शंखनाद और मंदिर की घंटों की जो आवाज आती हैं, हमें तो वह भी अच्छी लगती हैं। हमें अजान की आवाज भी अच्छी लगती है। हमें तो रतजगा होता है और वहां दुर्गा पूजा होती है और लाउडस्पीकर बजता है तो हमें तो उस पर भी कोई एतराज नहीं होता है। जब कांवड़ जाती है और दुनिया भर का हुड़दंग होता है तो किसी भी मुसलमान को उस पर भी कोई एतराज नहीं किया। जब आदमी धर्म के नाम पर कुछ कर रहा है तो उसे करने दीजिए। ये अधर्मी लोग है जो अजान का विरोध करते हैं। जो रात में दो-दो बजे तक जागते हैं, तो जाहिर है कि उन्हें सुबह पांच बजे उठने में दिक्कत तो होगी ही।”
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वीसी के पत्र के मुताबिक, “ईद से पहले ही वे सुबह चार बजे माइक पर सहरी का ऐलान करते हैं। इस व्यवस्था से भी दूसरे लोगों को परेशानी होती है। भारत का संविधान सभी समुदायों को शांतिपूर्ण तरीके से साथ रहने का अधिकार देता है जिसका ईमानदारी से पालन किया जाना चाहिए।”
कुलपति ने 2020 की जनहित याचिका (अफजल अंसारी एवं दो अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं दो अन्य) में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए जिलाधिकारी से इस संबंध में त्वरित कार्रवाई का अनुरोध किया था।”