मच्छर के काटने से हुई मौत बीमा में ‘पर्सनल एक्सिडेंट’ (दुर्घटना) के तहत आएगी? क्या इस हालत में पीड़ित पक्ष को क्लेम मिलेगा? अगर मोजाम्बिक गणराज्य में ऐसा हुआ होगा, तब जवाब है- नहीं। मंगलवार (26 मार्च, 2019) को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह बात स्पष्ट की। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में दिए आंकड़ों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि मोजाम्बिक में मलेरिया से मौत आम बात है। ऐसे में वहां मच्छर के काटने से गई जान को दुर्घटना नहीं माना जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल निवासी देबाशीष भट्टाचार्य ने यहां 2011 में होम लोन लिया। उन्होंने उसका बीमा भी कराया, जिसके तहत एक्सिडेंटल डेथ की स्थिति में कंपनी क्लेम ईएमआई के रूप में चुकाने के लिए बाध्य थी। कुछ दिन बाद वह अफ्रीकी देश मोजाम्बिक चले गए, जहां 2012 में मच्छर के काटने से उन्हें एंसेफ्लाइटिस मलेरिया हुआ। बीमारी के बाद उनके शरीर के कुछ अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। नतीजतन जान चली गई। फिर परिजन ने बीमा के तहत मौत को एक्सिडेंट बताया और क्लेम मांगा।

वे लोग प.बंगाल में डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम पहुंचे, जिसने कंपनी को क्लेम चुकाने को कहा। पर कंपनी ने निर्देश को चुनौती दी। बात और आगे बढ़ी और स्टेट कंज्यूमर कमीशन तक गई, जिसने फोरम के निर्देश का समर्थन किया था। डिस्ट्रिक्टर फोरम ने अपने निर्देश में कहा था कि विदेशी धरती पर मच्छर के काटने से हुई मौत दुर्घटना है।

उधर, बीमा कंपनी की दलील थी कि शख्स की मौत संक्रमण से हुई। कंपनी ने कहा कि मच्छर के काटने से हुई मौत ‘पर्सनल एक्सिडेंट’ की श्रेणी (पॉलिसी में) में नहीं रखी जा सकती। कंपनी की ओर से वकील माधवानी दीवान बोले, “मोजाम्बिक में मलेरिया से होने वाली मृत्यु आम हैं। डब्ल्यूएचओ की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2018 बताती है कि वहां तकरीबन एक करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित हैं, जबकि 2017 में मच्छरों के काटने से लगभग साढ़े 14 हजार लोगों की जान चली गई।

आगे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच ने कमीशन की दलीलों से असहमति जताई। सुनवाई के दौरान वह बोले, “आंकड़ों से साफ है कि मोजाम्बिक में हर तीन में से एक व्यक्ति मलेरिया से पीड़ित है। ऐसे में मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी (एंसेफलाइटिस मलेरिया) को ‘एक्सिडेंट’ नहीं माना जा सकता है। यह अप्रत्याशित नहीं है और न ही वहां के लिए ये कोई नई बात नहीं है।”

बेंच ने आगे कहा, “फ्लू या फिर वायरल बुखार से पीड़ित व्यक्ति नहीं कह सकता कि उसके साथ जो हो रहा है वह दुर्घटना है। यहां तक कि किसी क्षेत्र में संक्रमणकारी बीमारियां फैलती हैं, तब भी सभी लोग उसकी चपेट में नहीं आते।“ (पीटीआई इनपुट्स के साथ)