कर्नाटक से दलितों पर अत्याचार के दो मामले सामने आए हैं। राज्य की राजधानी बैंगलोर के पास एक दलित किशोर ने मंदिर से प्रसाद मांगा तो उसे और उसके माता-पिता को जमकर पीटा गया। वहीं कर्नाटक में अन्य जगह एक दलित मजदूर को रसायन से जला दिया गया।
अखबार ‘द टेलीग्राफ के मुताबिक ये घटनाएं 14 अगस्त और 17 अगस्त को हुईं थी। लेकिन यह 20 अगस्त को सार्वजनिक हुई। दोनों मामलों में आठ लोगों को आरोपी बनाया गया है, लेकिन गिरफ्तार सिर्फ एक को किया गया है। लेखक और दलित कार्यकर्ता महेश चंद्र गुरु ने कहा कि इन दो घटनाओं के प्रकाश में आने में हुई देरी दलितों के प्रति समाज के रवैये को दर्शाती है। उन्होंने कहा, ‘किसी दलित पर हमला होने पर शायद ही कोई परेशान होता है। यह हमारे जातिवादी समाज में गहरी जड़ जमा चुकी बीमारी के लक्षण हैं।
14 अगस्त को बैंगलोर हवाई अड्डे से कुछ किलोमीटर दूर देवनहल्ली के विश्वनाथपुरा गांव में एक दलित ने मंदिर से प्रसाद मांगा तो किशोर नाम के एक व्यक्ति ने उससे कथित तौर पर मारपीट की। वहीं दो दिन बाद, किशोर ने कथित तौर पर लड़के की मां अरुणा पर जातिसूचक शब्दों का उपयोग किया। जब उसके पति मुनीनंजप्पा जो कि स्कूल शिक्षक है ने अपनी पत्नी का बचाव करने की कोशिश की, तो किशोर ने अपने दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर कथित तौर पर दंपति की पिटाई की।
स्थानीय पुलिस उप-निरीक्षक वेंकटेश ने शनिवार को द टेलीग्राफ को बताया कि तीनों आरोपियों में से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा “हम उनके ठिकाने को कम कर रहे हैं।” वहीं दूसरी घटना उडुपी के हल्लीहोल गांव की है।
यहां एक परिवार के पांच लोगों ने 17 अगस्त को एक 35 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर वेंकटरमण को लठियों से पीटा और उस पर एक रसायन डाला, जिससे वह जल गया। मारने वालों में चार महिलाएं भी शामिल हैं।
पुलिस सूत्रों ने कहा कि वेंकटरमण एक चार एकड़ के सुपारी की खेत में काम कर रहा था। यह विवादित है। आरोपियों का कहना है कि वह उनकी है, लेकिन लंबे कोर्ट केस के बाद लक्ष्मीनारायण चतरा नाम के एक व्यक्ति को सौंप दिया था।
वेंकटरमण को यहां काम करता देख आरोपियों ने उससे पूछा कि वह यहां क्या कर रहा है। उसने बताया कि लक्ष्मीनारायण ने उसे नौकरी पर रखा है और वह उसके लिए काम कर रहा है। जिसके बाद आरोपी विजेंद्र चतरा, सुषमा, शैलजा, ग्रीशमा और सुमा ने वेंकटरमण पर हमला कर दिया।
वेंकटरमन का अस्पताल में जलने का इलाज चल रहा है। विजेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन चारों महिलाएं छुपी हुई हैं। दोनों मामलों में दंड संहिता की धाराओं के अलावा एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।