हैदराबाद में दलित शोधार्थी की कथित आत्महत्या के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता जताते हुए एफटीआइआइ के छात्र मंगलवार को संस्थान के द्वार के बाहर एक दिन के अनशन पर बैठ गए। एफटीआइआइ छात्र संघ के अध्यक्ष हरिशंकर नचिमुत्थु ने कहा कि हम रोहित वेमुला की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ हैं और फिल्म व टेलीविजन इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया के आठ छात्र एक दिन के लिए अनशन पर बैठे हैं। धीरे-धीरे अन्य छात्र भी इसमें शामिल हो रहे हैं।
छात्र संघ के एक अन्य प्रतिनिधि यशस्वी मिश्रा ने कहा कि हम रोहित वेमुला की मौत जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को एक संस्थागत हत्या मानते हैं। जिस विचारधारा के कारण यह विनाशक त्रासदी हुई है, उसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी चाहिए। हम जाति, वर्ग और पक्षपात से परे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ने वाले छात्र समुदाय के साथ खड़े हैं। असहमति के स्वरों को दबाने और कुचलने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की हम निंदा करते हैं। संकट की इस घड़ी में हम वृहद छात्र समाज के साथ मिलकर खड़े हैं।
एफटीआइआइ के छात्रों ने पिछले साल टीवी अभिनेता और भाजपा सदस्य गजेंद्र चौहान को संस्थान का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के खिलाफ 139 दिन तक हड़ताल की थी। रविवार को हॉस्टल के एक कमरे में रोहित का शव लटका हुआ पाया गया था। इसके बाद सोमवार को हैदराबाद विश्वविद्यालय के परिसर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।
केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव और तीन अन्य को दलित छात्र रोहित की कथित आत्महत्या के मामले में सोमवार को साइबराबाद पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी में नामजद किया गया। इन आरोपों के बाद मामले ने राजनीतिक मोड़ ले लिया कि रोहित ने इतना बड़ा कदम दत्तात्रेय के पत्र के बाद दलित छात्रों के साथ किए जा रहे भेदभाव के कारण उठाया।
दत्तात्रेय ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर इनके राष्ट्रविरोधी कृत्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। रोहित उन पांच शोधार्थियों में शामिल था, जिन्हें हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने पिछले साल अगस्त में निलंबित कर दिया था। वह एक छात्र नेता पर हमले के मामले के आरोपियों में शामिल था।

