दैनिक भास्कर और इसके मालिक के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी के बाद सोशल मीडिया पर उबाल आया हुआ है। वहीं कई पत्रकार भी एजेंसी के एजेंसी के इस कदम की जमकर आलोचना कर रहे हैं। एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने छापे के बाद एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि भारत समाचार और भास्कर के यहां छापे गलत को पकड़ने के लिए नहीं हुए हैं। सरकारी एजेंसियों को उन्हीं अखबारों, चैनलों के यहां क्या ग़लत मिलता है जो दो चार रिपोर्ट फाइल कर देता है या कई हफ्ते तक जनता के साथ खड़ा रहता है।
उन्होंने आगे लिखा, ‘मार्च अप्रैल और मई के महीन में नरसंहार जारी था। उस दौर में लोग ही लोग के काम आ रहे थे। सरकार प्रेस को रौंदने के लिए हर दिन एक कदम बढ़ा रही है। यह संकेत इस बात का नहीं कि खत्म होने वाला है बल्कि इस बात का है कि क्या ख़त्म हो रहा है।’ बता दें कि गुरुवार को दैनिक भास्कर और भारत समाचार के दफ्तर समेत संबंधित व्यक्तियों के घर पर भी आयकर का छापा पड़ा था। भोपाल में भास्कर के मालिक सुधीर अग्रवाल के घर पर भी एजेंसी की टीम पहुंची और बाहर सीआरपीएफ के जवानों को तैनात कर दिया गया। वहीं भास्कर का दफ्तर सील कर दिया गया।
इस मामले में जब सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। एजेंसियां अपना काम कर रही हैं और सरकार उसमें कोई दखल नहीं दे रही।
रवीश कुमार ने कहा कि व्यापक संदर्भों में देखें तो आयकर को पता है कि आज क्या हुआ है। भास्कर की रिपोर्टिंग पाठकों की दुनिया से आगे पहुंचने लगी थी। गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दैनिक भास्कर ने कई ऐसी रिपोर्ट छापी थीं जिससे सरकार पर सवाल उठने लगे थे। ऑक्सीजन की कमी से लेकर गंगा में तैरती लाशों तक की ग्राउंड रिपोर्ट पब्लिश की गई थी। ऐसे में लोगों का कहना हैकि सरकार ने बदले की कार्यवाही की है।
रवीश की पोस्ट पर कई यूजर ने उनका समर्थन किया तो कई ने विरोध भी दर्ज कराया। नितेश तिवारी नाम के यूजर ने अर्नब को याद करते हुए लिखा कि जो लोग उनकी गिरफ्तारी पर जश्न मना रहे थे आज फफक-फफक कर रो रहे हैं। सब समय का खेल है।