लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीनों क्रिमिनल लॉ बिल पारित करवा दिए गए हैं। अब कुछ ही दिनों में IPC-CRPC इतिहास की बातें हो जाएंगी और उनकी जगह भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 ले लेंगे। सरकार का दावा है कि इन बड़े बदलावों की वजह से लोगों को जल्द न्याय मिल पाएगा और गुलामी वाली मानसिकता से भी मुक्ति मिल जाएगी।

यहां ये समझना जरूरी है कि अभी तक तमाम धाराएं आईपीसी और सीआरपीसी के तहत लगाई जाती थीं। लेकिन अब आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता के नाम से जाना जाएगा। इसी तरह सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के रूप में नई पहचान मिल गई है और इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता के नाम से जाना जाएगा। अब सिर्फ नाम नहीं बदले गए हैं, कई तरह के कानून भी बदल चुके हैं, कई में सजा बढ़ाई गई है, कई में घटाई गई है तो कई नए अपराध भी जोड़ दिए गए हैं।

बड़ी बात ये है कि पहली आतंकवाद की परिभाषा भी निर्धारित कर दी गई है। जो भी अगर भारत की एकता, अखंडता को खतरे में डालने का काम करेगा, जो भी सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने का काम करेगा, उसे आतंकवादी कृत्य कहा जाएगा। इसी तरह एक बड़ा बदलाव ये भी होने जा रहा है कि अब राजद्रोह नहीं देशद्रोह माना जाएगा, यानी कि देश के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले को कड़ी सजा दी जाएगी।

महिलाओं के कई कानूनों में भी बदलाव देखने को मिल गया है। अगर नाबालिग के साथ रेप किया गया तो सजा सीधे आजीवन कारावास से लेकर डेथ पेनल्टी तक जाएगी। इसी कड़ी में महिलाओं के साथ धोखाधड़ी कर संबंध बनानने की कोशिश को भी बड़ा अपराध माना गया है और 10 साल तक की सजा देने की बात हुई है। इस बार मॉब लिंचिंग को भी पहली बार परिभाषित कर दिया गया है और म़ृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान रखा गया है।