हरियाणा में 37 साल बाद सीपीएम को उम्मीद है कि वह सदन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगी। इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने CPM के लिए भिवानी सीट खाली कर दी है। जहां से अब CPM उम्मीदवार ओम प्रकाश चुनावी मैदान में हैं। वह CPM के भिवानी जिला सचिव भी हैं। कांग्रेस का आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी से गठबंधन नहीं हो सका लेकिन सीपीएम अब इस चुनाव में उसकी सहयोगी है। सीपीएम उम्मीदवार ओम प्रकाश ने गुरुवार को नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस का आभार भी जताया। प्रकाश ने कहा कि लोगों की समस्याओं को उठाने के साथ-साथ भ्रष्टाचार और अपराधियों पर भी निशाना साधने उनके कामों का हिस्सा रहेगा।
सीपीएम उम्मीदवार ओम प्रकाश के बारे में
भवानी विधानसभा में उनका मुकाबला भाजपा के घनश्याम सराफ से होगा जो इस सीट से मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री हैं। ओम प्रकाश बैंक कर्मचारियों के आंदोलनों से जुड़े रहे हैं और उनके नेता माने जाते हैं। उन्होंने 2014 में यूको बैंक के मुख्य प्रबंधक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। उन्होंने कहा था कि वह सामाजिक मुद्दों को उठाने के अलावा किसानों और मजदूरों के संघर्षों के लिए खुद को समर्पित करना चाहते हैं।
CPM उम्मीदवार ओम प्रकाश के करीबी सहयोगी और किसान नेता दयानंद पूनिया का कहना है कि 2018 में हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों द्वारा की गई लंबी हड़ताल के दौरान पुलिस हिरासत में उन्हें काफी परेशान किया गया था। उन्हें 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान भिवानी जिले में किसानों का नेतृत्व करने पर भी गिरफ्तार किया गया था। सीपीआई (एम) हरियाणा के सचिव सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि ओम प्रकाश संकट में फंसे लोगों का नेतृत्व करने और महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों की सुरक्षा के लिए लड़ने के लिए भिवानी में सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं।
37 साल बाद CPM को जीतने की उम्मीद
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीपीएम उम्मीदवार ने एकमात्र जीत 1987 में हासिल की थी। तब हरपाल सिंह टोहाना से विजयी हुए थे। उस चुनाव में वामपंथी दलों ने देवीलाल द्वारा गठित लोकदल (बी) के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। सीपीएम और सीपीआई को एक-एक सीट दी गई थी और दोनों उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। जिसमें शाहाबाद से CPI के हरनाम सिंह जीतकर आए थे। 1991 में CPM ने पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी (एचवीपी) के साथ गठबंधन करके चार विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी नहीं जीत सकी थी। हालांकि इसके उम्मीदवार पृथ्वी सिंह गोरखपुरिया फतेहाबाद से मामूली अंतर से हार गए थे।