संसद के शीतकालीन सत्र से पहले भाकपा ने आज निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति (एसटी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को आरक्षण देने की वकालत की है। भाकपा ने जोर दिया है कि सरकार समाज के इन दो वर्गों के कल्याण की उप-योजना के तहत धन देने के लिए एक केंद्रीय विधेयक लेकर आए। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने कहा, ‘‘नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण निजी क्षेत्र एक बड़ा क्षेत्र बन कर उभरा है। लेकिन यह गैर-भेदभावकारी नियुक्ति नीतियों का पालन नहीं करता है।’ उन्होंने कहा , ‘यह अपने विकास के लिए हर संभव लाभ उठाता रहा है लेकिन समुदायों के लोगों को इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं मिल रहा है। इसलिए हम चाहते हैं कि सरकार संसद में इसपर रुख स्पष्ट करे।’
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों और उनकी उप योजनाओं की खातिर पृथक फंड आबंटित करने के संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने वाले योजना आयोग की गैरमौजूदगी में राजग सरकार को इस पर एक केंद्रीय विधेयक के साथ आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘(एकीकृत) आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति उप योजना सुनिश्चित करने के लिए एक विधेयक है। अब केंद्रीय विधेयक की आवश्यकता है। मोदी सरकार ‘सब का साथ, सब का विकास’ की बात करती है। हम जानना चाहते हैं कि ‘सब का साथ, सब का विकास’ यानी समग्र विकास का मतलब क्या है यदि इन सब चीजों का अभाव है। क्या सरकार संसद के सत्र में इन मुद्दों के साथ आगे आएगी?’
राजा ने संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के उस बयान को लेकर उनकी आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा के खिलाफ बिहार से मिले जनादेश का उपयोग संसद का सत्र बाधित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजग को लोकसभा में अपने अधिक संख्या बल का इस्तेमाल दलित एवं जनजातियों के खिलाफ काम करने के लिए नहीं करना चाहिए।
संसद का शीतकालीन सत्र 26 नवंबर से शुरू होना है। सत्र के शुरुआती दो दिन की बैठक भारतीय संविधान को अंगीकार किए जाने के ऐतिहासिक अवसर (26 नवंबर) को याद करने के लिए और संविधान के रचनाकार और दलित महानायक बी आर आंबेडकर के सम्मान में की जानी है।