कोरोना संकट के चलते अपने घर जाने के लिए प्रवासी मजदूर किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। इसका एक नज़ारा देश की राजधानी दिल्ली में देखने को मिला। श्रमिक एक्सप्रेस से अपने-अपने घर जाने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के सैकड़ों प्रवासी मजदूर और उनके परिवार वाले भीषण गर्मी में घंटों तक स्क्रीनिंग के लिए लाइन में खड़ा रहे। बुधवार को मयूर विहार की मुख्य सड़क पर मजदूरों की लंबी कतार देखने को मिली। चिलचिलाती धूप में ये मजदूर स्क्रीनिंग के लिए लाइन में लगे थे।
यह स्क्रीनिंग पूर्वी दिल्ली जिला प्रशासन द्वारा आयोजित की गई है। यह स्क्रीनिंग पूर्व और पश्चिम विनोद नगर के राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय और झील खुरेजी में चल रही है। ट्रेनों के लिए ऑनलाइन पंजीकृत करने वाले इन प्रवासियों मको एसएमएस के माध्यम से यहां बुलाया गया था। मंजूरी मिलने के बाद, उन्हें हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। इसके बाद जब ट्रेनें उपलब्ध होती हैं तो उन्हें डीटीसी बसों द्वारा पुरानी दिल्ली या आनंद विहार रेलवे स्टेशनों पर भेजा जाता है, जहां से उन्हें ट्रेन मिलती है।
जिला मजिस्ट्रेट (पूर्व) अरुण कुमार मिश्रा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “आवश्यकता के अनुसार और ट्रेनों के स्थान के अनुसार, पांच-सात स्कूलों का इस्तेमाल स्क्रीनिंग प्रयोजनों के लिए किया जा रहा है, स्कूलों की संख्या बदलती रहती है। प्रवासी ज्यादातर बिहार या उत्तर प्रदेश जाने वाले हैं। अबतक हमने 5,000 से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की है।”
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अधिकांश प्रवासियों को एसएमएस प्राप्त हुए थे जिसमें उन्हें स्क्रीनिंग के लिए 8-9 बजे तक स्कूल आने का निर्देश दिया गया था। बड़े पैमाने पर दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से पैदल चलकर आए इन मजदूरों ने लंबी कतारों की शिकायत की। इन में से कई को स्क्रीनिंग के बाद भी ट्रेन से अपने घर जाने के लिए एक और दिन का इंतजार करना होगा।
52 साल के वैशाली जिले के वीर बहादुर रॉय जो जदूर के रूप में काम करके प्रतिदिन 300-400 रुपये कमाते थे। उन्हें रविवार को सुबह 3 बजे एक एसएमएस मिला, जिसके बाद वे अपने रूम से पैदल ही विनोद नगर के लिए निकल गए। लंबी लाइन होने की वजह से उनकी स्क्रीनिंग नहीं हो पाई है।