कोविड-19 से बचाने वाली वैक्सीनों की उपलब्धता की क्या हालत है, यह बात बुधवार को गुजरात उच्च न्यायालय में एक सुनवाई के दौरान खुल कर सामने आ गई। अदालत ने एक जगह तंज करते हुए राज्य सरकार को झिड़का मगर झिड़की के बाद भी राज्य सरकार अपनी असहाय स्थिति को बयान करने के सिवाय कुछ न कर सकी। उसने कहा कि वैक्सीन खरीद के नियम केंद्र सरकार ने बनाए हैं और अगर विदेशी कंपनियों से सीधे बात करो तो वे मना कर देती हैं।

यह तमाम बातचीत न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति भार्गव डी करिया की खंडपीठ और गुजरात सरकार की नुमाइंदगी कर रहे एडवोकेट जनरल (एजी) कमल त्रिवेदी के बीच हुई। अदालत कोविड प्रबंधन से उठ रहे मुद्दों से जुड़े केस की सुओ मोटो सुनवाई कर रही थी। इसी बातचीत में एक बिंदु आया जब हाइकोर्ट ने तंज में कहा कि राज्य सरकार जिस रफ्तार से वैक्सीन खरीद रही है, उसे देखकर तो ऐसा प्रतीत होता है कि वांछित लक्ष्य प्राप्त होते-होते पांच साल भी लग सकते हैं। इस टिप्पणी की भूमिका तब बनी जब एडवोकेट जनरल ने बताया कि मई में कोविड वैक्सीन के 16 लाख डोज़ खरीदे थे और जून में 10.7 लाख डोज़ और खरीद लिए जाएंगे।

यह सुनते ही अदालत की बेंच ने व्यंग्योक्ति की, “मतलब आप पंचवर्षीय योजना चला रहे हैं।”

जवाब में एजी बोले, “हम तो मैन्यूफैक्चरर की कृपा के आसरे हैं।” उन्होंने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार का आदेश है कि मैन्यूफैक्चरर किसी भी राज्य को उत्पादित वैक्सीनों के पचास प्रतिशत से ज्यादा नहीं देगा। इस पर खंडपीठ ने पूछा, ग्लोबल टेंडर जारी करने में क्या दिक्कत है..राज्य सरकार अपनी ओर से प्रयास क्यों नहीं कर रही?”। इस पर एडवोकेट जनरल का जवाब था, फाइजर और मॉडर्ना राज्य सरकार से बात नहीं करना चाहते। वे सिर्फ केंद्र सरकार के साथ ही बात करना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि वैक्सीन की किल्लत कई राज्यों में चल रही है। अभी एक दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि उपलब्ध न होने के कारण उसको अपने सभी चार सौ वैक्सीनेशन सेंटर बंद करने पड़ रहे हैं। इन केंद्रो पर 18 से 44 साल आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण की व्यवस्था की गई थी। अगले दिन दिल्ली सरकार को वैक्सीनें मिलीं या नहीं, इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी। माना जा रहा है कि दिल्ली में अगर सरकारी सेंटरों में वैक्सीन के डोज़ लोगों को नहीं मिले तो उनको प्राइवेट अस्पतालों का ही सहारा लेना पड़ेगा। वैक्सीनों को लेकर एक संकट यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अंग्रेजी में काम करने वाले कोविन पोर्टल का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। नतीजतन, शहरी क्षेत्रों के स्मार्ट लोग गांवों के सेंटरों पर जाकर वैक्सीन का डोज ले रहे हैं। पिछले दिनों राजस्थान के एक गांव के लोग भड़क उठे थे। उन्होंने वैक्सीन के लिए लाइन में लगे शहरियों को दौड़ा लिया था। बोले, हमे तो वैक्सीन लग नहीं रही, फिर ये कौन होते हैं जो हमारे हिस्से की वैक्सीन लगवाए जा रहे हैं।