कोरोना वायरस महामारी दुनियाभर में अभी तक 6.80 करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है और इससे 15.50 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी से निजात पाने के लिए दुनियाभर में टीका बनाने का काम जारी है और कई जगह ये लगभग अंतिम चरण में है। भारत में दवा कंपनी फाइजर, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक द्वारा कोविड-19 टीके के आपात उपयोग की मंजूरी मांगी गई है।

इनके आवदेन पर केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) बुधवार को विचार करेगा। आवेदनों का मूल्यांकन करने के बाद समिति केंद्रीय औषधि नियामक (डीसीजीआई) को अपनी सिफारिश देगी कि क्या किसी भी कोविड-19 टीके के आपात उपयोग के संबंध में मंजूरी दी जाए या नहीं?

उम्मीद है कि टीके को मंजूरी मिलने के भारत अपने इतिहास में टिकाकरण का सबसे बड़ा अभियान चलाएगा। कोविड-19 टीके पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति ने टीकाकरण के लिए भी अपना खाका तैयार कर लिया है। इसमें फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्करों को पहले टीका लगाया जाएगा। द इंडियन एक्सप्रेस ने पहले बताया था कि राज्यों की विशेष समिति द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार एक करोड़ फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्करों को अगले साल वैक्सीन की पहली खुराक मिलने की उम्मीद है।

सरकारी सूत्रों ने अखबार को बताया कि टीकाकरण के लिए प्रत्येक केंद्र में तीन अलग-अलग कमरे होंगे। पहले कमरे में शख्स को इंतजार करना होगा और दूसरा कमरा वो होगा जहां टीका लगाया जाएगा। इसके बाद शख्स को ऑब्जर्वेशन रूम में रखा जाएगा, जहां उसे 30 मिनट बैठना होगा क्योंकि इस अवधि के दौरान कुछ प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं होती हैं। सूत्रों ने बताया कि हर एक टीकारण में कम से कम तीस मिनट का समय लगेगा इसिलए 100-100 लोगों के बैच में टीकाकरण होगा।