Supreme Court Judge Justice BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई ने गुरुवार को भारतीय न्यायपालिका (Indian judiciary) को लेकर बड़ी बात कही। गवई ने कहा कि Indian Judiciary ने अक्सर दिखाया है कि जब कार्यपालिका अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहती है तो वह हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी रह सकती।

जस्टिस गवई ने कहा कि देश की संवैधानिक अदालतों ने इस संबंध में नए संवैधानिक तंत्र और कानूनी सिद्धांत विकसित किए हैं और नीति-निर्माण में असंगतता के कारण अक्सर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग उठती रही है।

गवई ने कहा कि बार-बार, नीति-निर्माण के क्षेत्र में निरंतर असंगति के साथ-साथ कार्यकारी उपकरणों के बीच कौशल विकसित करने और मजबूत करने की आवश्यकता के कारण न्यायिक हस्तक्षेप की मांग उठी है… भारत में न्यायपालिका ने बार-बार यह दिखाया है कि जब कार्यपालिका अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहती है तो हमारी संवैधानिक अदालतें हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकतीं।

न्यायमूर्ति गवई हार्वर्ड केनेडी स्कूल में ‘How Judicial Review Shapes Policy’ विषय पर बोल रहे थे। यह कार्यक्रम मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर व्याख्यान और उसके बाद की चर्चा का आयोजन स्कूल के सीएआरआर सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स पॉलिसी द्वारा किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के जज ने बताया कि कैसे न्यायिक समीक्षा की शक्ति न्यायपालिका को हस्तक्षेप करने और कानूनों को असंवैधानिक करार देने की अनुमति देती है।

उन्होंने कहा कि भारत में जहां कानून का शासन सर्वोपरि है, न्यायिक समीक्षा विधायिका द्वारा शक्ति के किसी भी दुरुपयोग के लिए एक बाधा बनी हुई है। उन्होंने कहा कि वर्षों से न्यायालय ने अपने आदेश के माध्यम से विधायिका की शक्ति और नागरिकों के हितों के बीच एक पुल के रूप में काम किया है।