Gauri Lankesh Murder Case: पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में आरोपी नंबर 10 शरद भाऊसाहेब कलस्कर को बुधवार को प्रिंसिपल सिटी सिविल और सेशन कोर्ट ने जमानत दे दी। इसके साथ ही मामले में मुकदमे का सामना कर रहे सभी 17 आरोपी अब जमानत पर बाहर हैं।
जस्टिस मुरलीधर पाई बी ने समानता के आधार पर कलस्कर को जमानत दी। कोर्ट ने देखा कि आरोपी 4 सितंबर, 2018 से हिरासत में है, और इतने कम समय में मुकदमा पूरा करना असंभव प्रतीत होता है।
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता (कलस्कर) को छोड़कर मामले में मुकदमे का सामना कर रहे सभी आरोपी जमानत पर हैं। जज ने कहा कि याचिकाकर्ता समानता के आधार पर भी जमानत का हकदार है।
जज ने कहा कि याचिकाकर्ता 4 सितंबर, 2018 से इस मामले में हिरासत में है। कई फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार माना है कि त्वरित सुनवाई संविधान के अनुच्छेद 21 के व्यापक दायरे और सामग्री में निहित एक मौलिक अधिकार है, और यदि मुकदमे के लंबित रहने तक व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करने की अवधि अनुचित रूप से लंबी हो जाती है, तो संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा सुनिश्चित निष्पक्षता को झटका लगेगा।
मामले में कुल 18 आरोपियों में से एक विकास पाटिल अभी भी फरार है और उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। बाकी 17 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू हो गया है।
महाकुंभ से 25 हजार करोड़ का राजस्व मिलेगा, यूपी की अर्थव्यवस्था को होगा बंपर मुनाफा
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी एक आदतन अपराधी है और एक अन्य अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट चुका है। अभियोजन पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि आरोपी एक संगठित अपराध गिरोह के सदस्य हैं, जिसकी विचारधारा विद्रोह के माध्यम से हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना है। कथित तौर पर 2010-11 में गठित इस गिरोह को गुप्त और अनाम बताया गया है। अभियोजन पक्ष ने आगे आरोप लगाया कि आरोपियों ने हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया था और कच्चे बम बनाना सीखा था।
जमानत की शर्तें
कलस्कर की जमानत निम्नलिखित शर्तों के साथ है:
2,00,000 रुपये का व्यक्तिगत बांड और समान राशि की दो जमानतें।
सभी सुनवाई तिथियों पर न्यायालय में उपस्थित होना अनिवार्य है, जब तक कि वैध कारणों से छूट न दी गई हो।
गवाहों को धमकाने या उनसे छेड़छाड़ करने पर प्रतिबन्ध।
भविष्य में इसी प्रकार के अपराध करने पर प्रतिबंध।
न्यायालय में आवासीय विवरण, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रस्तुत करना।
पूर्व अनुमति के बिना न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने पर प्रतिबंध।
अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि इन शर्तों का उल्लंघन करने पर जमानत रद्द कर दी जाएगी।
2017 में हुआ था गौरी लंकेश हत्याकांड
गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर तीन बंदूकधारियों ने हत्या कर दी थी। यह मामला लंबे समय से कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बना हुआ है। इस हत्याकांड के बाद पूरे देश में विरोध देखने को मिला था। 2023 दिसंबर में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गौरी लंकेश हत्या मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत स्थापित करने का निर्देश दिया था।
कौन था हत्या का मास्टरमाइंड?
इस केस का मास्टरमाइंड अमोल काले था। सारे आरोपियों की एक दूसरे से मुलाकात साल 2010 में हुई थी, जिसके बाद वो लगातार मिलते रहे। एक स्पीच की वीडियो देखी और यहीं से गौरी लंकेश की हत्या की साजिश का प्लान बनाना शुरू किया गया। जहां अमोल काले इस हत्या के पीछे का मास्टरमाइंड है। परशुराम वाघमारे शूटर और गणेश मिस्किन ड्राइवर था। वहीं, बाकी के आरोपियों ने दूसरे काम किए उन्होंने गौरी लंकेश की रेकी की, गौरी लंकेश के आवास तक पहुंचने के लिए वाहन जुटाया।
यह भी पढ़ें-
दिल्ली में AAP की राह पर चल रही कांग्रेस और बीजेपी, रेवड़ियों से जनता को आकर्षित करने की कोशिश
संभल में बावड़ी की जमीन पर बना था घर, प्रशासन ने एक घंटे में हटवाया अतिक्रमण; जानें फिर क्या हुआ