पति-पत्नी के झगड़े के एक मामले ने सुप्रीम कोर्ट को भी हैरान कर दिया है। इस मामले में पति-पत्नी ने एक दूसरे के खिलाफ 60 मुकदमे दायर कर रखे हैं। ये मुकदमे 41 साल के अंदर निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा देख चुके हैं। अदालत के दखल के बाद दोनों पक्ष अब मध्यस्थता में मामला ले जाने को तैयार हो गए हैं।

मुकदमों की ऐसी बाढ़ देख कर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने टिप्पणी की कि कुछ लोगों को लड़ने में मजा आता है। वे हमेशा अदालत में ही रहना चाहते हैं। अगर वे अदालत का मुंह न देखें तो उन्हें नींद नहीं आती। अदालत के दखल के बाद दोनों पक्ष अब मध्यस्थता में मामला ले जाने को तैयार हो गए हैं।

जिस दंपति के झगड़ों को लेकर न्यायमूर्ति रमण ने यह तीखी टिप्पणी की उनकी शादी को 41 साल हो चुके हैं। पिछले 11 साल से वे दोनों अलग-अलग रह रहे हैं। महिला अपने ससुर पर यौन शोषण का आरोप लगा चुकी है। दंपति इतनी बार अदालतों के चक्कर काट चुके हैं कि यह देख कर पीठ में शामिल न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी चौंक गईं। उन्होंने कहा कि इस मामले में वकीलों की प्रतिभा की भी दाद देनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ससुर के वकील ने कहा कि निचली अदालत और हाईकोर्ट दोनों मान चुके हैं कि पति-पत्नी के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं। जब से बहू ने ससुर पर शोषण के आरोप लगाए हैं उसका ससुराल में रहना संभव नहीं है। ऐसे में महिला चाहे तो वह इलाके में ही उसे एक घर दिलवा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने महिला के वकील से पूछा कि वे समग्रता में मामले का निपटारा कराना चाहते हैं या नहीं? इस पर महिला की तरफ से कहा गया कि वह मध्यस्थता में मामला ले जाने को तैयार हैं, लेकिन हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई को नहीं रोका जाना चाहिए।

इस पर पीठ ने कहा कि यह संभव नहीं है। लगता है कि आप लड़ने की बहुत ज्यादा इच्छुक हैं। लेकिन आप दोनों चीजें एक साथ नहीं कर सकते। मध्यस्थता की प्रक्रिया की एक समयसीमा होती है। सुप्रीम कोर्ट के समझाने पर दोनों पक्ष मध्यस्थता में मामला रखने के लिए राजी हो गए। अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के मध्यस्थता केंद्र को मामला भेजते हुए कहा कि इस मामले की तेजी से सुनवाई करें और छह हफ्तों के अंदर स्थिति रिपोर्ट पेश करें।