आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि आंदोलनों के दौरान कोई देश को बंधक नहीं बना सकता। कोर्ट ने कहा कि नुकसान के लिए जवाबदेही तय करने के लिए मानक तय करेगा। न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि उसने आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को होने वाले नुकसान के मुद्दे को देखने का फैसला किया है। पीठ में न्यायमूर्ति सी नागप्पन भी हैं। पीठ ने कहा, ‘आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान के लिए जवाबदेही तय करने के लिए हम मानक तय करेंगे। आप देश की या इसके नागरिकों की संपत्ति को नहीं जला सकते।’
पीठ ने कहा, ‘हमें मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और हम इस तरह के कृत्यों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे। देश को जानना चाहिए कि क्या परिणाम होते हैं। आंदोलनों के दौरान कोई भी देश को बंधक नहीं बना सकता। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, या कोई अन्य संगठन उन्हें महसूस करना चाहिए कि उन्हें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है।’
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि हार्दिक पटेल ने अपने खिलाफ प्राथमिकी को चुनौती दी थी, लेकिन मामले में एक आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। रोहतगी ने कहा, ‘अब प्राथमिकी के बाद, आरोपपत्र दायर किया गया है और उच्चतम न्यायालय में इसका परीक्षण नहीं किया जा सकता।’ पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता जमानत के बारे में अधिक चिंतित था, न कि आरोपपत्र के बारे में। इस पर रोहतगी ने जवाब दिया कि उसकी जमानत याचिकाएं सत्र अदालत में पहले से ही लंबित हैं।