केंद्र के तीन कृषि बिलों के काउंटर के लिए महाराष्ट्र की असेंबली में तीन संशोधित कृषि बिल पेश किए गए। उद्धव सरकार ने आम लोगों से 2 माह के भीतर अपने सुझावों से अवगत कराने के लिए जनता से कहा है। उसके बाद इन्हें अमली जामा पहनाया जाएगा।
एनसीपी कोटे से सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि सरकार का ध्येय है कि लोगों की रायशुमारी के बाद ही तीनों बिलों को अंतिम रूप दिया जाए। उनका कहना है कि ये तीनों बिल किसानों के लिए हैं और उनकी राय के बगैर सरकार कोई कदम नहीं उठा सकती है। ज्यादा से ज्यादा लोग जिस मसौदे को सही मानेंगे सरकार सोच विचार करने के बाद उसे अंतिम रूप देगी।
Maharashtra government introduced 3 amendment bills in the Assembly related to Central govt’s new farm laws. Public has been given 2 months’ time to send suggestions regarding amendments, if needed, in the proposed bills: State Minister & NCP leader Nawab Malik pic.twitter.com/Y578mtHinh
— ANI (@ANI) July 6, 2021
महाराष्ट्र में इस समय एक अलग तरह की राजनीति चल रही है। कभी बीजेपी शिवसेना के साथ आने की अटकले लगती हैं तो कभी दोनों के बीच खासा तनाव देखा जाता है। फिलहाल इन बिलों से साफ है कि महाअघाड़ी सरकार मोदी सरकार को जवाब देने के मूड़ में है। तीनों कृषि बिलों को मोदी सरकार ने जहां अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है वहीं उद्धव सरकार जताना चाहती है कि वो किसानों और जनता की राय को कितनी अहमियत देती है।
गौरतलब है कि तीनों कृषि बिलों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान दिल्ली के बार्डर पर पिछले कई माह से जमे बैठे हैं। अब सरकार से उनकी बातचीत भी बंद है। हालांकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद साफ कर दिया है कि ये तीनों कानून 18 माह तक लागू नहीं होंगे, लेकिन कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कई बार कहा है कि कुछ भी हो सरकार बिलों को वापस नहीं लेगी।
दूसरी तरफ किसान संगठन साफ कह चुके हैं कि चाहें जो हो जाए तीनों बिलों की वापसी तक वो अपने घरों को वापसी नहीं करेंगे। जाहिर है कि ऐसे में महाराष्ट्र सरकार का ये कदम केंद्र के मुंह पर एक तरह से तमाचा है। बीजेपी को ये फैसला रास नहीं आ रहा।