आम आदमी पार्टी के छह पार्षदों के विधानसभा पहुंचने के बाद निगम में खाली हुई सीटों पर दावेदारी तेज हो गई है। दिल्ली में आप के बढ़ते जनाधार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बनी छवि को भुनाते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के वे कार्यकर्ता जिन्हें विधानसभा का टिकट नहीं मिल सका था निगम की खाली सीटों पर दावेदारी के लिए लामबंदी तेज कर दी है। दिल्ली में इस समय तीनों नगर निगमों में विपक्ष की भूमिका में आप के पार्षद हैं।

मौजूदा समय में निगम में आप के पार्षदों की संख्या के हिसाब से उत्तरी निगम में 15, दक्षिणी में 16 और पूर्वी निगम में 9 पार्षद हैं। विधानसभा चुनाव में आप ने सबसे पहले एक साथ अपने 70 सीटों पर उम्मीदवार की ही घोषणा नहीं की बल्कि अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर निगम के छह पार्षदों को मैदान में उतारा। विधानसभा चुनाव में कड़ी मशक्कत के बाद जिस तरह आप ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की है उसका असर विधानसभा के बाद नगर निगम के चुनाव में दिख सकता है। पूर्वी दिल्ली में सबसे ज्यादा चार पार्षदों पर आप ने दांव लगाया था।

चारों पार्षद मौजूदा निगम में महत्त्वपूर्ण पदों पर विराजमान थे। पूर्वी निगम में विपक्ष के नेता रहे रोहित कुमार मेहरोलिया त्रिलोकपुरी वार्ड से पार्षद रहते विधानसभा चुनाव जीत गए। कोंडली विधानसभा से आप ने पूर्वी निगम में ही विपक्ष के नेता रहे कुलदीप कुमार को विधानसभा का टिकट दिया था। कुलदीप कोंडली के उस सीट से चुनाव लड़ रहे थे जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अंबरीश कुमार गौतम को पार्टी ने इस बार मैदान में उतारा था। यहां भाजपा ने पूर्वी निगम में उप मेयर और शाहदरा दक्षिण जोन के अध्यक्ष रहे राज कुमार ढिल्लो को उम्मीदवार बनाया था। कुलदीप चुनाव जीत गए।

पूर्वी दिल्ली में सीलमपुर से आप ने निगम पार्षद अब्दुल रहमान को टिकट देकर बड़ा दांव खेला था। जबकि मुस्तफाबाद से आप ने अपने मनोनीत पार्षद हाजी युनूस को मैदान में उतारा था। युनुस और रहमान ने भाजपा उम्मीदवार को कड़ी टक्कर में शिकस्त देते हुए जीत दर्ज की। उत्तरी निगम के पार्षद जय भगवान और दक्षिणी निगम के पार्षद बीएस जून भी विधानसभा पहुंच गए हैं। भाजपा को निगम में शिकस्त देने के लिए आप ने अपनी कार्ययोजना बनाना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि खाली हुए पार्षदों के चुनाव की घोषणा से पहले ही आप में इन सीटों पर टिकट के लिए दावेदारी तेज हो गई है।