आजकल बड़ी कंपनियों में काम करने वाले युवाओं में तनाव बढ़ता दिख रहा है। ऐसा क्यों होता है कि लोग उपलब्धियां हासिल करने के बाद भी तनाव और दबाव में आ जाते हैं। फिर मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं। दरअसल, जब हम किसी लक्ष्य को पाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं, तो हमारे मन में कई उम्मीदें जाग जाती हैं। सफलता मिलने पर भी अक्सर सोचते हैं कि हमें और भी बहुत कुछ हासिल करना है। यह दबाव हमें मानसिक रूप से परेशान कर सकता है।
सफलता मिलने पर कई बार लोग दूसरों से दूर हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि अब उन्हें किसी की जरूरत नहीं है। सफलता के बाद भी जीवन में नई चुनौतियां आती रहती हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए। आज प्रतिस्पर्धा का युग है। खासकर कारपोरेट जगत में हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा में है। इस होड़ में कर्मचारी दिन-रात एक करके काम करते रहते हैं, लेकिन इस दौड़ में वे अपना स्वास्थ्य खोते जा रहे हैं।
दरअसल, कई कंपनियां अपने लाभ के लिए कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ डाल रही हैं। यह गंभीर मुद्दा है, जो न केवल कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि कंपनी के दीर्घकालिक विकास को भी बाधित करता है। कई बार अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए कर्मचारियों पर दबाव बनाया जाता है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण कंपनियां अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकलने के लिए कर्मचारियों से अधिक काम लेती हैं और लागत कम करने के लिए कर्मचारियों की संख्या घटा कर शेष कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ा देती हैं। कुछ कंपनियां कर्मचारियों का शोषण करने से भी नहीं चूकतीं। कर्मचारियों को अक्सर निर्धारित समय से अधिक काम करना पड़ता है। उन पर उच्च लक्ष्य प्राप्त करने का दबाव हमेशा बना रहता है। रात की ड्यूटी और सप्ताहांत में काम करना तो अब आम बात हो गई है।
कर्मचारियों के लिए अब काम के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करना मुश्किल होता जा रहा है। काम की अधिकता के कारण कर्मचारी अपने परिवार के साथ कम समय बिता पाते हैं। वे सामाजिक गतिविधियों में भाग नहीं ले पाते हैं, जिससे उनका सामाजिक दायरा सीमित हो जाता है। अत्यधिक बोझ और दबाव के कारण कर्मचारियों में चिंता, अवसाद और ईर्ष्या जैसी कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, अनिद्रा, मोटापा और पाचन संबंधी कई शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
तनावग्रस्त कर्मचारी कभी नहीं कर सकता अच्छा प्रदर्शन
समझने वाली बात यह है कि एक थका हुआ और तनावग्रस्त कर्मचारी कभी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकता। अधिक काम के बोझ के कारण कर्मचारियों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। कई कर्मचारी इस दबाव को सहन नहीं कर पाते और नौकरी छोड़ देते हैं। जब कर्मचारी बार-बार नौकरी छोड़ते हैं, तो कंपनी को भी नुकसान होता है, क्योंकि उसे नए कर्मचारियों को ढूंढ़ना, उन्हें प्रशिक्षित करना फिर उन्हें काम पर लगाना होता है। नए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में समय और पैसा खर्च होता है। इससे कंपनी का काम प्रभावित होता है और उसकी उत्पादकता कम हो जाती है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए, कर्मचारियों पर उतना ही काम का बोझ डालना चाहिए, जितना वे संभाल सकते हैं। कर्मचारियों को इस तरह काम आबंटित किया जाना चाहिए कि वे अपने काम और व्यक्तिगत जीवन को बेहतर तरीके से संतुलित कर सकें। कंपनियां तनाव प्रबंधन कार्यक्रमों का आयोजन कर सकती हैं, ताकि कर्मचारी तनाव को कम करने के तरीके सीख सकें। कंपनियों को कर्मचारियों के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता भी उपलब्ध करानी चाहिए। उसे अपने काम और फायदे के साथ कर्मचारियों के कल्याण पर भी ध्यान देना चाहिए।
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कर्मचारियों के लिए योग, ध्यान, व्यायाम या चलने के लिए समय निर्धारित हो। जिम सुविधाएं उपलब्ध कराना भी एक अच्छा विकल्प है। नियमित स्वास्थ्य जांच करवा कर कर्मचारियों को उनके स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जा सकता है। लंबे समय तक लगातार काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए कंपनियों को कर्मचारियों को काम के घंटों का संतुलन बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें समय-समय पर अवकाश देना चाहिए।
कार्यस्थल पर कर्मचारियों के लिए सकारात्मक और सहयोगपूर्ण वातावरण बहुत जरूरी है। इससे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है और वे अधिक खुश रहते हैं। अच्छे काम के लिए उनकी प्रशंसा हो तो इससे वे प्रेरित होते हैं। जहां तक संभव हो, कर्मचारियों को काम के लचीले विकल्प देने चाहिए, जैसे घर से काम करना या अनुकूलित कार्य समय आदि। कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। वे स्वास्थ्य विषयों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सकती हैं। कंपनियों को नियमित रूप से कर्मचारी संतुष्टि सर्वेक्षण करना चाहिए, ताकि कर्मचारियों की जरूरतों और समस्याओं को समझा जा सके। कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह कंपनी के लिए भी फायदेमंद है। स्वस्थ कर्मचारी अधिक उत्पादक होते हैं, कम बीमार पड़ते हैं और कंपनी के प्रति अधिक वफादार होते हैं।
नियमित रूप से ब्रेक लेना चाहिए
कर्मचारियों को चाहिए कि वे सकारात्मक रहें। उनको हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करनी चाहिए। वे अपने शौक के लिए समय निकालें, इससे तनाव कम होगा। नए अनुभव और शौक रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं। कर्मचारियों को चाहिए कि काम के साथ-साथ वे दोस्तों और परिवार के साथ कुछ समय बिताएं। दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने से रिश्ते मजबूत होते हैं। उन्हें समय-समय पर यात्रा करनी चाहिए, जिससे काम करने के लिए उनमें एक नई ऊर्जा का संचार होगा। अगर वे किसी मानसिक समस्या का सामना कर रहे हों, तो उन्हें किसी मनोवैज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए। काम के दौरान उन्हें नियमित रूप से ब्रेक लेना चाहिए। अगर उन पर काम का बोझ बहुत अधिक है, तो वे अपने अधिकारी से बात कर सकते हैं। एक स्वस्थ कार्य वातावरण भी जरूरी है, जहां कर्मचारी अपने सहकर्मियों के साथ खुल कर बातचीत कर सकें।
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कारपोरेट जगत में काम का दबाव अधिक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति को काम के बोझ में दब कर अपना स्वास्थ्य खोना पड़े। काम के तरीकों और दिनचर्या में बदलाव करके अपनी सेहत का खयाल रखा जा सकता है। यह याद रखना चाहिए कि स्वास्थ्य मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धन है। जीवन सिर्फ काम नहीं है, बल्कि यह खुशियां मनाने, नए अनुभव करने और खुद को खोजने का समय भी है। कर्मचारियों को अगर किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा हो, तो उन्हें अपने प्रबंधक या मानव संसाधन विभाग से मदद लेनी चाहिए। एक स्वस्थ कर्मचारी ही कंपनी के लिए अधिक उत्पादक और रचनात्मक होता है। इसलिए सभी को मिल कर इस समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। यह एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
कार्यस्थल पर कर्मचारियों के लिए सकारात्मक और सहयोगपूर्ण वातावरण बहुत जरूरी है। इससे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है और वे अधिक खुश रहते हैं। अच्छे काम के लिए उनकी प्रशंसा हो तो इससे वे प्रेरित होते हैं। जहां तक संभव हो, कर्मचारियों को काम के लचीले विकल्प देने चाहिए, जैसे घर से काम करना या अनुकूलित कार्य समय आदि। कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। वे स्वास्थ्य विषयों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सकती हैं। कंपनियों को नियमित रूप से कर्मचारी संतुष्टि सर्वेक्षण करना चाहिए, ताकि कर्मचारियों की जरूरतों और समस्याओं को समझा जा सके।
