वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के केस दिन-ब-दिन दुनिया भर में बढ़ते जा रहे हैं। अब तक इसकी दवा नहीं बन पाई है। विश्व में करीब 100 से अधिक टीमें इस टीके की खोज में दिन-रात लगकर काम कर रही हैं, ताकि जल्द से जल्द यह दवा आए और उसका प्रोडक्शन शुरू हो।
कोरोना की दवा की खोज के बीच रूस दुनिया की सबसे पहली कोरोना वैक्सीन हासिल कर सकता है। कहा जा रहा है कि रूस की यह वैक्सीन 12 अगस्त, 2020 को रजिस्टर करा ली जाएगी, जिसे वहां का Gamaleya National Research Centre और Defence Ministry मिलकर तैयार कर रहे हैं।
वैसे, इस वैक्सीन को विकसित करने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) रूस को सलाह दे चुका है कि वह सुरक्षित और प्रभावी टीके के लिए उसके बताए गए मानकों के अनुसार चले।
बता दें कि जब कंपनी को वैक्सीन के ट्रायल की मंजूरी मिल जाती है तो वह वॉलंटियर्स के लिए विज्ञापन देती है। साथ ही जो लोग वॉलंटियर बनने के इच्छुक हैं वो खुद भी क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री पर जाकर सर्च कर सकते हैं। वॉलंटियर बनने के लिए व्यक्ति का स्वस्थ होना आवश्यक है।
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कोरोना वैक्सीन का लोगों को बेसब्री से इंतजार है लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं आती है तब तक लोगों को रेमडेसिविर दवाई से काफी राहत की उम्मीद है। बता दें कि कोरोना के इलाज में यह दवाई खासी कारगर साबित हो रही है। एम्स में मरीजों के इलाज के लिए इस दवाई का इस्तेमाल हो रहा है और परिणाम काफी उत्साहजनक बताए जा रहे हैं।
भारत की दो कंपनियां कोरोना की वैक्सीन बनाने की होड़ में हैं। इनमें एक है भारत बायोटेक कंपनी और दूसरी है जाइडस कैडिला। बता दें कि जाइडस कैडिला ने डीएनए बेस्ड वैक्सीन विकसित की है। इस वैक्सीन को 3 जुलाई को ह्युमन ट्रायल के लिए अप्रूवल मिला है। वहीं भारत बायोटेक पहले चरण का ट्रायल पूरा कर चुकी है और अब दूसरे चरण के ट्रायल की तैयारी कर रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने अनुमान लगाया है कि इस सप्ताह कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या दो करोड़ तक पहुंच जायेगी, जिनमें लगभग 7,50,000 मौत के मामले शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने सोमवार को कहा कि ‘‘इन आंकड़ों के पीछे बहुत दर्द और पीड़ा है।’’ उन्होंने वायरस से लड़ने के लिए कोई नई रणनीति नहीं बताई लेकिन उन्होंने विश्व के लिए न्यूजीलैंड का उदाहरण रखते हुए कहा कि, ‘‘नेताओं को उपाय करने के लिए कदम उठाने चाहिए और नागरिकों को नए उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।’’
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने दावा किया है कि अमेरिका और चीन के बाद तुर्की ने भी स्थानीय स्तर पर कोरोना वैक्सीन विकसित कर ली है। एर्दोगन ने कहा कि ऐसा करने वाला तुर्की दुनिया का तीसरा देश बन गया है। बताया जा रहा है कि तुर्की की इस वैक्सीन को एथिकल अप्रूवल मिल गया है और अब इसका इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा।
यूरोपीय फुटबॉल महासंघों के संघ (यूएफा) के अध्यक्ष अलेक्जेंडर शेफरिन को चैम्पियन्स लीग के विजेता को खिताब ट्रॉफी सौपने के लिए कोविड-19 की जांच करनी होगी। यूएफा ने सोमवार को बताया, ‘‘ शेफरिन और महासचिव थियोडोर थियोडोरिडिस का परीक्षण इस महीने यूरोप के तीन क्लब प्रतियोगिताओं के फाइनल से दो दिन पहले किया जाएगा ताकि वे पदक और ट्रॉफी सौंप सकें। कोरोना वायरस महामारी के दौरान इंग्लैंड में हुए एफए कप के फाइनल सहित कई अन्य प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों को खुद से अपना पदक उठाना पड़ा था। पुरुषों के फुटबॉल में चैम्पियन्स लीग का फाइनल पुर्तगाल के लिस्बन में 23 अगस्त को खेला जाएगा। इसके दो दिन पहले जर्मनी के कोलोन में यूरोपा लीग का फाइनल होगा। महिलाओं के चैम्पियन्स लीग का फाइनल स्पेन के बिलबाओ में 30 अगस्त को होगा।
महाराष्ट्र में पुणे की Serum Institute of India (SII) के सीईओ अदार पूणावाला ने कहा है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन इस साल के अंत तक तैयार हो सकती है, जबकि इसके दाम का ऐलान अगले दो महीने में किया जाएगा।
वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी होती है। इस प्रक्रिया का पहल पड़ाव होता है प्री-क्लीनिकल टेस्टिंग। इसके तहत वैज्ञानिक जानवरों जैसे चूहों और बंदरों पर इसका परीक्षण करते हैं और देखते हैं कि उनकी इम्यूनिटी कैसी प्रतिक्रिया दे रही है। इसके बाद पहले सेफ्टी ट्रायल होता है, जिसमें गिने चुने लोगों को वैक्सीन की डोज दी जाती है और इसके असर को जांचा जाता है।
वैक्सीन के ट्रायल के दूसरे चरण में सैंकड़ों लोगों पर यह ट्रायल किया जाता है। इन्हें ग्रुप में बांटकर वैक्सीन की डोज दी जाती है। तीसरे चरण में वैक्सीन हजारों वालंटियर्स को दी जाती है। इसके बाद इसके असर को जांचने के बाद जब यह तय हो जाता है कि इससे इम्यूनिटी बढ़ रही है और इसके मानव शरीर पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ रहे हैं। इसके बाद वैक्सीन को अप्रूवल के लिए सरकारी रेगुलेटर्स के पास भेजा जाता है। जहां से अप्रूवल मिलने के बाद वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू कर दिया जाता है।
कोरोना वैक्सीन का लोगों को बेसब्री से इंतजार है लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं आती है तब तक लोगों को रेमडेसिविर दवाई से काफी राहत की उम्मीद है। बता दें कि कोरोना के इलाज में यह दवाई खासी कारगर साबित हो रही है। एम्स में मरीजों के इलाज के लिए इस दवाई का इस्तेमाल हो रहा है और परिणाम काफी उत्साहजनक बताए जा रहे हैं।
भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला कोरोना वैक्सीन का ट्रायल करने में जुटे हैं। इसके लिए पूरे देश में अलग अलग जगह से वालंटियर्स लिए जा रहे हैं। बता दें कि वालंटियर चुनने की भी एक तय प्रक्रिया होती है। यदि आप भी कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में बतौर वालंटियर शामिल होना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। बता दें कि किसी भी वैक्सीन के ट्रायल का उद्देश्य यह पता करना होता है कि क्या यह वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं? साथ ही क्या यह वैक्सीन बड़ी जनसंख्या में किसी खास बीमारी के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर है या नहीं? क्लीनिकल ट्रायल के लिए कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता है।
डब्लूएचओ ने चेताया है कि कोरोना वैक्सीन कोई जादुई गोली नहीं होगी, जो पलक झपकते ही कोरोना वायरस को खत्म कर देगी। डब्लूएचओ ने कोरोना वैक्सीन के विकास के लिए दुनिया के विभिन्न देशों को सहयोग बढ़ाने की बात कही है।
कोरोना वायरस के बढ़ते असर के बीच लोगों को वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। राहत की बात ये है कि दो दिन बाद ही दुनिया को अपनी पहले कोरोना वैक्सीन मिलने जा रही है। दरअसल रूस में इस वैक्सीन के लिए पंजीकरण 12 अगस्त से शुरू हो जाएगा। यह वैक्सीन रूस सरकार के संस्थान अधीन आने वाले गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई है। बताया जा रहा है कि अक्टूबर माह से लोगों को कोरोना का टीका लगना शुरू हो जाएगा।
कोरोना वैक्सीन को विकसित करने की कोशिशों में जुटी भारत बायोटेक कंपनी का कहना है कि वह इसे लेकर दबाव में काम नहीं करना चाहते। कंपनी के सीएमडी कृष्णा एल्ला ने बताया कि मौजूदा माहमारी ने कंपनी पर जल्द से जल्द वैक्सीन तैयार करने का दबाव बना दिया है लेकिन हम इसमें जल्दी नहीं करना चाहते और सेफ्टी और क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सीएमडी ने बताया कि हम नहीं चाहते कि गलत वैक्सीन से और ज्यादा लोग मरें। बता दें कि हैदराबाद बेस्ड भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का पहला चरण पूरा हो चुका है और अब दूसरे चरण की तैयारी की जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने COVAX सुविधा केन्द्र में शामिल होने के लिए दुनिया भर के देशों को फिर से न्योता भेजा है। बता दें कि कोवैक्स सुविधा केन्द्र का उद्देश्य कोरोना वैक्सीन को जल्द विकसित करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना है ताकि सभी देशों को यह वैक्सीन उपलब्ध हो सके।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस वैक्सीन मोटे व्यस्क लोगों में ज्यादा असरदार साबित नहीं होगी। ऐसे में मोटे लोगों को सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा खतरा है। चीन में भी एक स्टडी में पाया गया था कि कोरोना से संक्रमित हुए मोटे लोग इस माहमारी से ज्यादा मरे हैं।
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस में तैयार किए जा रहे कोरोना के टीके को सबसे पहले रिसर्चर्स ने खुद लगवाया है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको कह चुके हैं कि इसी महीने हेल्थ वर्क्स को यह वैक्सीन दी जा सकती है।
रूस दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन हासिल करने को तैयार है। कहा जा रहा है कि यह वैक्सीन 12 अगस्त को रजिस्टर की जाएगी। इसे Gamaleya Research Institute और Russian Defence Ministry ने मिलकर तैयार किया है। हालांकि, रूस की कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल डेटा और अन्य दस्तावेजों का फिलहाल एक्सर्ट्स रिव्यू कर रहे हैं। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इन्हीं रिव्यू के नतीजों के आधार पर वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन पर फैसला लिया जाएगा।
बता दें कि जब कंपनी को वैक्सीन के ट्रायल की मंजूरी मिल जाती है तो वह वॉलंटियर्स के लिए विज्ञापन देती है। साथ ही जो लोग वॉलंटियर बनने के इच्छुक हैं वो खुद भी क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री पर जाकर सर्च कर सकते हैं। वॉलंटियर बनने के लिए व्यक्ति का स्वस्थ होना आवश्यक है।
कोरोना संकट के बीच वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया के तमाम मुल्क तेजी से काम कर रहे हैं। मौजूदा समय में 100 से अधिक टीमें इसके लिए काम कर रही हैं। इसी बीच, कहा जा रहा है कि सऊदी अरब भी CanSino की कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू करेगा। यह दवा करीब पांच हजार लोगों पर टेस्ट की जाएगी, जिसे चीन की CanSino Biologics Inc तैयार कर रही है। यह जानकारी रविवार को सऊदी के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी। जुलाई में कैनसीनो के संस्थापक ने कहा था कि कंपनी रूस, ब्राजील, सऊदी और चिली के साथ वैक्सीन (Ad5-nCOV) के तीसरे चरण का ट्रायल लॉन्च करने को लेकर बात कर रहा है।
सिंगापुर में कोविड-19 के टीके के लिए प्रारंभिक स्तर का क्लीनिकल परीक्षण शुरू हो गया है और अगले सप्ताह ट्रायल में शामिल लोगों को पहला टीका दिया जा सकता है। एक खबर में यह दावा किया गया है। सिंगापुर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले रविवार को 55 हजार के आंकड़े को पार कर गये। ‘स्ट्रेट्स टाइम्स’ की खबर के अनुसार ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल और अमेरिका की फार्मास्युटिकल कंपनी आर्कटरस थेरेपेटिक्स द्वारा विकसित टीके को ‘ल्यूनर-कोव19’ नाम दिया गया है।
केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 ड्यूटी में तैनात अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 लाख रुपये की बीमा योजना के तहत दावों की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है क्योंकि यह योजना सितंबर तक ही उपलब्ध है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने उन्हें कहा कि वे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, चिकित्सा कर्मचारियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की सुरक्षा और देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। पत्र में उन्हें अग्रिम पंक्ति के कोविड-19 कर्मियों के खिलाफ हिंसा करने वालों के विरुद्ध महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के तहत निवारक कार्रवाई शुरू करने के लिए भी कहा। भूषण ने पत्र में कहा, '' पिछले छह महीने में, केंद्र सरकार और राज्यों ने कोविड-19 महामारी से निपटने के प्रयास के तहत मूल्यवान अनुभव प्राप्त किया है। इनमें से एक अहम सीख ये भी है कि अपने अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा और बचाव बेहद महत्वपूर्ण है।''
अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील से लेकर साउथ अफ्रीका तक कई देश कोरोना वायरस का वैक्सीन विकसित करने में लगे हैं।ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविडशील्ड इस साल नवम्बर तक आ सकती है।भारत में इसका 18 जगहों पर ट्रायल हो रहा है। इसमें 1600 वॉलंटियर्स शामिल हैं। इसकी कीमत 225 रुपये प्रति डोज हो सकती है। यह दुनिया में कोरोना की सबसे सस्ती वैक्सीन होगी।
रूस का दावा है कि उसने दुनिया की पहलो कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है और अक्टूबर तक बाजार में उतार देगा। रूस में यह वैक्सीन रूसी रक्षा मंत्रालय और गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी मिलर बना रहा है। तीसरे चरण में वैक्सीन का ट्रायल जारी है। अभी तक इसकी कीमत नहीं बताई गई है। रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 12 अगस्त को इस वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन होगा।
कोरोना की वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया बेताब है। दरअसल वैक्सीन आने के बाद हम कोरोना माहमारी पर काबू पा सकते हैं और भविष्य में भी हमें कोरोना के संक्रमण का खतरा ना के बराबर हो जाएगा। वैक्सीन में वायरस से मिलता जुलता एक एंटीजन ही होगा, जो हमारे शरीर में डाला जाएगा। लेकिन यह एंटीजन पैथोजैनिक नहीं होगा, यानि कि यह हमें बीमार नहीं करेगा। ऐसे में हमारी बॉडी इसके खिलाफ आसानी से एंटीबॉडी बना लेंगी। जिसका नतीजा ये होगा कि जब कभी असली वायरस हमारे शरीर पर हमला करेगा तो शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी उसे आसानी से खत्म कर देंगी और हम बीमार भी नहीं पड़ेंगे।
कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने और उसके ट्रायल को लेकर ब्रिटेन के दो वैज्ञानिक आमने सामने आ गए हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के दोनों वैज्ञानिक, कोरोना वायरस की वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया को लेकर एक-दूसरे की राय से सहमत नहीं हैं। यह विवाद तब सामने आया है, जब ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल तीसरे राउंड में चल रहा है। प्रोफेसर एड्रियन हिल और साराह गिलबर्ट के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि क्या ट्रायल के लिए लोगों को जानबूझकर कोरोना से संक्रमित किया जाए? प्रोफेसर एड्रियन हिल चाहते हैं कि स्वस्थ वॉलंटियर्स को वैक्सीन देने के बाद वायरस से संक्रमित किया जाए।
अमेरिका में कोरोना वायरस के मामले रविवार को बढ़कर 50 लाख हो गए जो कि अभी तक दुनिया में सबसे अधिक हैं। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की तालिका से मिली। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि जांच की सीमाओं और बड़ी संख्या में कम लक्षण वाले मामलों की पहचान नहीं हो पाने के चलते यह संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। अमेरिका में प्रतिदिन करीब 54,000 नये मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि यह जुलाई के दूसरे हिस्से के दौरान सामने आने वाले नये मामलों की संख्या से कम है जब एक दिन में 70 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे थे। करीब 20 प्रांतों में मामले बढ़ रहे हैं। कई अमेरिकी मास्क नहीं पहन रहे हैं और एकदूसरे से दूरी नहीं बना रहे हैं।
बता दें कि कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया में हलचल तेज है। अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील से लेकर साउथ अप्रीका तक कई देश वैक्सीन विकसित करने में लगे हैं।ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविडशील्ड इस साल नवम्बर तक आ सकती है।भारत में इसका 18 जगहों पर ट्रायल हो रहा है। इसमें 1600 वॉलंटियर्स शामिल हैं। इसकी कीमत 225 रुपये प्रति डोज हो सकती है। यह दुनिया में कोरोना की सबसे सस्ती वैक्सीन होगी।
दुनियाभर में कोरोनावायरस वैक्सीन के ट्रायल जारी हैं। कई दवा कंपनियों के ट्रायल तो मानवीय परीक्षण की स्टेज तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले साल की शुरुआत तक कोरोना की वैक्सीन लॉन्च...पढ़ें पूरी खबर।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि अगर ट्रायल कामयाब होता है तो 2021 की पहली तिमाही तक इसके 30 से 40 करोड़ डोज तैयार किए जा सकेंगे। नेशनल बायोफार्मा मिशन एंड ग्रैंड चैलेंज इंडिया प्रोग्राम के तहत सरकार और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच एक करार हुआ है। इसी के तहत देश में इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर परीक्षण होगा।
कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने और उसके ट्रायल को लेकर ब्रिटेन के दो वैज्ञानिक आमने सामने आ गए हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के दोनों वैज्ञानिक, कोरोना वायरस की वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया को लेकर एक-दूसरे की राय से सहमत नहीं हैं। यह विवाद तब सामने आया है, जब ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल तीसरे राउंड में चल रहा है। प्रोफेसर एड्रियन हिल और साराह गिलबर्ट के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि क्या ट्रायल के लिए लोगों को जानबूझकर कोरोना से संक्रमित किया जाए? प्रोफेसर एड्रियन हिल चाहते हैं कि स्वस्थ वॉलंटियर्स को वैक्सीन देने के बाद वायरस से संक्रमित किया जाए।
केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 ड्यूटी में तैनात अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 लाख रुपये की बीमा योजना के तहत दावों की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है क्योंकि यह योजना सितंबर तक ही उपलब्ध है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने उन्हें कहा कि वे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, चिकित्सा कर्मचारियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की सुरक्षा और देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। पत्र में उन्हें अग्रिम पंक्ति के कोविड-19 कर्मियों के खिलाफ हिंसा करने वालों के विरुद्ध महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के तहत निवारक कार्रवाई शुरू करने के लिए भी कहा। भूषण ने पत्र में कहा, '' पिछले छह महीने में, केंद्र सरकार और राज्यों ने कोविड-19 महामारी से निपटने के प्रयास के तहत मूल्यवान अनुभव प्राप्त किया है। इनमें से एक अहम सीख ये भी है कि अपने अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा और बचाव बेहद महत्वपूर्ण है।''
अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर और जर्मन बायोटेक कम्पनी बायोएनटेक की वैक्सीन (BNT162b2) इस साल के अंत तक बाजार में आएगी। कंपनी के वैक्सीन के एक डोज की कीमत 225 रुपये से 300 रुपये के बीच हो सकती है। इस वैक्सीन का भी ट्रायल दूसरे और तीसरे चरण में है। हाल ही में ट्रम्प प्रशासन से इस वैक्सीन के लिए फिजर के साथ 2 बिलियन डॉलर का करार किया है। अब तक ट्रायल में सामने आए नतीजे के मुताबिक, वॉलंटियर्स में इसका इम्यून रेस्पॉन्स अच्छा मिला है।जिन वॉलंटियर्स को यह वैक्सीन दी गई है, उनमें कोरोना को न्यूट्रल करने वाली एंटीबॉडीज विकसित हुईं।
कोरोना की वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया बेताब है। दरअसल वैक्सीन आने के बाद हम कोरोना माहमारी पर काबू पा सकते हैं और भविष्य में भी हमें कोरोना के संक्रमण का खतरा ना के बराबर हो जाएगा। बता दें कि वैक्सीन में वायरस से मिलता जुलता एक एंटीजन ही होगा, जो हमारे शरीर में डाला जाएगा। लेकिन यह एंटीजन पैथोजैनिक नहीं होगा, यानि कि यह हमें बीमार नहीं करेगा। ऐसे में हमारी बॉडी इसके खिलाफ आसानी से एंटीबॉडी बना लेंगी। जिसका नतीजा ये होगा कि जब कभी असली वायरस हमारे शरीर पर हमला करेगा तो शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी उसे आसानी से खत्म कर देंगी और हम बीमार भी नहीं पड़ेंगे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘अमेरिका-चीन के बीच तनाव बढ़ने और कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी की वजह से अनिश्चितता बढ़ रही है। टीके के मोर्चे पर किसी सकारात्मक घटनाक्रम से अनिश्चितता घटेगी। ऐसे में शेयर बाजारों में अभी उतार-चढ़ाव रहेगा। तिमाही नतीजों का सीजन होने की वजह से कुछ शेयरों में गतिविधियां देखने को मिलेंगी।’’
चीन में बनी कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन तीसरे ट्रायल फेज में है। चीनी कंपनी सिनोवेक बायोटेक ने ये वैक्सीन बनाई है। फिलहाल तीसरे चरण का ट्रायल चीन में जारी है। बावजूद इसके ये वैक्सीन कब तक बाजार में आएगी या उसकी कीमत क्या होगी? ये अभी तक तय नहीं है। इस वैक्सीन का अंतिम ट्रायल इंडोनेशिया में छह अलग-अलग जगहों पर हो रहा है।
रूस का दावा है कि उसने दुनिया की पहलो कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है और अक्टूबर तक बाजार में उतार देगा। रूस में यह वैक्सीन रूसी रक्षा मंत्रालय और गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी मिलर बना रहा है। तीसरे चरण में वैक्सीन का ट्रायल जारी है। अभी तक इसकी कीमत नहीं बताई गई है। रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 12 अगस्त को इस वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन होगा।
कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने और उसके ट्रायल को लेकर ब्रिटेन के दो वैज्ञानिक आमने सामने आ गए हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के दोनों वैज्ञानिक, कोरोना वायरस की वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया को लेकर एक-दूसरे की राय से सहमत नहीं हैं। यह विवाद तब सामने आया है, जब ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल तीसरे राउंड में चल रहा है। प्रोफेसर एड्रियन हिल और साराह गिलबर्ट के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि क्या ट्रायल के लिए लोगों को जानबूझकर कोरोना से संक्रमित किया जाए? प्रोफेसर एड्रियन हिल चाहते हैं कि स्वस्थ वॉलंटियर्स को वैक्सीन देने के बाद वायरस से संक्रमित किया जाए।
कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार एक्शन में नजर आ रही है। केंद्र सरकार ने वैक्सीन की पहचान, खरीद, वितरण और टीकाकरण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फोर्स में संबंधित मंत्रालयों और संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। बता दें कि कई वैक्सीन ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण में पहुंच चुकी हैं और कुछ ही महीनों में इन वैक्सीन के बाजार में आने की उम्मीद की जा रही है।