कोरोना वायरस माहमारी से हमारा देश बुरी तरह प्रभावित है और हर दिन कोरोना मरीजों का आंकड़ा भयावह होता जा रहा है। ऐसे में सभी की निगाहें कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन पर टिकी हुई हैं। दुनिया में कई देश और फार्मा कंपनियां कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। भारत में भी कोरोना वैक्सीन बनाने की तैयारियां विभिन्न चरणों में हैं।
हाल ही में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संसद को बताया कि कोरोना का वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में उपलब्ध हो सकती है। हालांकि वैक्सीन आने के बाद उसका बड़े स्तर पर उत्पादन और उसे देश के विभिन्न इलाकों में लोगों तक पहुंचाना सरकार के लिए असल चुनौती रहेगी। दरअसल वैक्सीन के विकसित होने के बाद भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसके लॉजिस्टिक की रहेगी।
वैक्सीन की वायल को मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट से भारत के दूरदराज के इलाकों जैसे उत्तर पूर्वी भारत और लद्दाख आदि जगहों पर भेजना एक मुश्किल काम होने वाला है। बता दें कि वैक्सीन को बेहद कम तापमान पर स्टोर किया जाता है, वरना इसके खराब होने की आशंका रहती है।
इसके अलावा लाखों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रेनिंग देना और उन्हें देश के विभिन्न इलाकों में तैनात करना भी एक चुनौतीपूर्ण काम होने वाला है। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को वैक्सीन पाने के लिए ज्यादा यात्रा ना करनी पड़े।
सरकार की प्राथमिकता है कि पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन की डोज दी जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन देने के काम में कई महीने यहां तक कि कुछ साल भी लग सकते हैं। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ आदर पूनावाला का कहना है कि साल 2024 तक सभी के लिए पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो सकेंगी।
बता दें कि देश में कोरोना मरीजों की संख्या 54 लाख के पार चली गई है। बीते 24 घंटे में देश में कोरोना के 86961 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 1130 लोगों की मौत हुई है। देश में अब तक कोरोना से कुल 87,882 मरीजों की मौत हुई है। राहत की बात ये है कि कुल मरीजों में से 43,96,399 मरीज ठीक हो चुके हैं।