भारत में कोरोनावायरस वैक्सीन जल्द मिलने की संभावना है। ऐसे में केंद्र सरकार इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए तैयारियां पूरी करने में जुटी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में दो जनवरी (शनिवार) से वैक्सीन का ड्राय रन किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गुरुवार को हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में इस पर फैसला हुआ। देश में यह दूसरा ड्राय रन होगा। इससे पहले चार राज्यों (असम, आंध्र प्रदेश, पंजाब और गुजरात) में वैक्सिनेशन से पहले सारे इंतजाम परखने के लिए 28 और 29 दिसंबर को ड्राय रन किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देशभर में वैक्सीन के ड्राय रन के लिए 96 हजार वैक्सिनेटर्स (वैक्सीन लगाने वाले) की ट्रेनिंग हुई है। इनमें से 2360 वैक्सिनेटर्स की ट्रेनिंग नेशनल ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स में हुई है, जबकि 719 जिलों के 57 हजार वैक्सिनेटर्स को जिला स्तर पर ट्रेनिंग दी गई है।
मीडिया ग्रुप एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि हर राज्य की कुछ चुनिंदा जगहों पर ही ड्राय रन किया जाएगा। यह कम से कम हर राज्य के तीन शहरों में किया जा सकता है। कुछ राज्य ड्राय रन के लिए ऐसे इलाकों को चुन सकते हैं, जहां तक पहुंचना मुश्किल है या जहां वैक्सीन रखने के इंतजाम ठीक नहीं हैं। महाराष्ट्र और केरल अपनी-अपनी राजधानियों के बजाय कुछ अहम बड़े शहरों में ड्राय रन जारी रखवा सकते हैं।
क्या है ड्राय रन की प्रक्रिया और क्यों की जा रही?: देशभर में वैक्सिनेशन शुरू किए जाने से पहले इसका ड्राय रन किया जा रहा है। यानी इस दौरान परखा जा रहा है कि जब देश में असल में टीकाकरण अभियान शुरू होगा, तो उसमें किस तरह से वैक्सीन लगाने वालों को काम करना होगा। इसमें हर जगह पर 25 हेल्थ वर्करों को डमी कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। ड्राय रन की बदौलत सरकारें अलग-अलग इलाकों में आने वाली समस्याओं का भी पता लगा सकेंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस ड्राय रन से कोरोनावायरस वैक्सीन की जानकारी के लिए बनाई गई ऐप को-विन (Co-WIN) की भी मॉक टेस्टिंग हो जाएगी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस ड्राय रन में टीकाकरण के दौरान के बाद की स्थितियों पर नजर रखने की कोशिश भी की जाएगी।