Coronavirus (Covid-19) Vaccine: पूरी दुनिया अभी कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही है। इस बीच ब्रिटेन में फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन लगने से दो लोगों की तबीयत खराब हो गई है। जिसके बाद आनन-फानन में नेशनल हेल्थ सर्विस को चेतावनी जारी करनी पड़ी है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) ने बताया है कि इन दोनों को वैक्सीन के कारण एलर्जिक रिएक्शन हुआ है। ऐसे में ब्रिटिश स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ऐसे लोग जिन्हें किसी दवा, खाना या वैक्सीन से एलर्जी है वह फाइजर की कोरोना वैक्सीन का टीका न लगवाएं। यह मामला कोरोना वायरस वैक्सीनेशन शुरू होने के 24 घंटे के अंदर आया है इसलिए, ब्रिटिश सरकार की भी चिंता बढ़ गई है। जिन दो लोगों के ऊपर वैक्सीन का दुष्प्रभाव देखने को मिला है वे पेशे से स्वास्थ्यकर्मी हैं। फाइजर ने भारत में भी वैक्सीनेशन के लिए सरकार से अनुमति मांगी है। ऐसे में सरकार ऐसे सभी मामलों पर करीबी निगाह बनाए हुए है।
भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच जल्द से जल्द एक वैक्सीन बाजारों में आने की उम्मीद है। इस बीच वैक्सीन के वितरण को लेकर भी सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार इसके लिए चुनाव आयोग की मदद ले सकती है। दरअसल, चुनाव आयोग की पकड़ देश के हर एक कोने और हर एक इंसान तक है। चुनाव आयोग के पास अधिकतर लोगों की उम्र की सटीक जानकारी है, जिनका इस्तेमाल सरकार वैक्सीन के वितरण के दौरान कर सकती है। इतना ही नहीं सरकार इस काम में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) की भी मदद ले सकती है। सरकार की कोशिश है कि इस तरह वह घर-घर तक वैक्सीन की पहुंच बना सकती है
इससे पहले फाइजर ने अफनी वैक्सीन के लिए भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। हालांकि, उसके वैक्सीन की कीमत 1,450 रुपए प्रति डोज के आसपास रहने की उम्मीद है। फाइजर ने कहा है कि यदि सरकार के बड़े पैमाने पर कोई सप्लाई डील हुई तो कीमत कम भी हो सकती है। फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। दूसरी तरफ सीरम इंस्टीट्यूट के टीके की कीमत 250 रुपए हो सकती है। केंद्र सरकार के साथ कोरोना वैक्सीन-कोवीशील्ड के सप्लाय कॉन्ट्रेक्ट पर साइन करने वाली है। हाल ही में भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा एल्ला ने कहा है कि कोवैक्सिन की कीमत भारत में काफी कम ही रखी जाएगी।

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अरुणाचल प्रदेश में कोविड-19 के 24 नए मामले सामने आए हैं, जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 16,461 हो गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। राज्य निगरानी अधिकारी (एसएसओ) डॉक्टर एल जाम्पा ने बताया कि 24 नए मामलों में से 15 मामले चांगलांग, कैपिटल कॉम्प्लेक्स क्षेत्र से पांच नए मामले जबकि ईस्ट सियांग और पश्चिमी कामेंग से दो-दो नए मामले सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि नए संक्रमित लोगों में से 17 ऐसे हैं जिनमें संक्रमण के लक्षण हैं और इन्हें कोविड देखभाल केंद्रों में भेजा गया है। अधिकारी ने बताया कि बुधवार को इलाज के बाद सात और लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिली और कुल स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढ़कर 15,697 हो गई। राज्य में स्वस्थ होने की दर 95.35 फीसदी है। यहां अब 709 लोगों का उपचार चल रहा है जबकि 55 लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है।
जम्मू-कश्मीर में कोरोना के 366 नए केस आए हैं। इनमें से 170 केस जम्मू से और 196 कश्मीर से आए हैं। 526 लोग अब तक ठीक हुए हैं। इनमें से 331 जम्मू और 195 कश्मीर से हैं। आज जम्मू कश्मीर में 8 मौतें कोरोना वायरस की वजह से हुई हैं।
दुनिया के 10 सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देशों में भारत भी शामिल है। सौभाग्य से इस सूची में भारत और अर्जेंटीना ही दो ऐसे देश हैं, जहां अब तक कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नहीं आई है। बाकी आठ देशों में कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर आ चुकी है। जिन देशों में संक्रमितों की संख्या ज्यादा होती है, वहां महामारी की दूसरी और तीसरी लहर का आना अप्रत्याशित नहीं होता। ऐसे में हमें अधिक सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि दूसरी लहर का खतरा बरकरार है।
कोरोना से बचाव के दुनिया को वैक्सीन उपलब्ध कराने के साथ-साथ भारत उनका सुचारू वितरण सुनिश्चित करने के लिए को-विन (कोरोना वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क) प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराएगा। को-विन प्लेटफार्म की मदद से वैक्सीन के कंपनी से निकलने से लेकर व्यक्ति को लगने तक लगातार नजर रखी जा सकेगी। यहां तक कि यह प्लेटफार्म किसी इलाके में वैक्सीन की जरूरत और उपलब्धता के साथ-साथ उसे लेने वाले व्यक्ति की भी पूरी जानकारी उपलब्ध कराएगा।
ब्रिटेन के मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने कहा है कि टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू करने के बाद से एनाफिलेक्सिस की दो और संभावित एलर्जी की एक रिपोर्ट मिली है। MHRA के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जून राईन ने एक बयान में कहा, 'दवा या भोजन के एनाफिलेक्सिस वाले किसी भी व्यक्ति को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन नहीं मिलनी चाहिए।'
एनएचएस इंग्लैंड ने कहा कि उसने टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल अपने सभी न्यासों को इस बारे में सूचित किया है कि टीका लगवाने वाले सभी मरीजों से पूछा जाएगा कि क्या उन्हें पूर्व में किसी तरह की एलर्जी प्रतिक्रिया की शिकायत तो नहीं रही? इंग्लैंड में एनएचएस के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर स्टीफन पोविश ने कहा, ' जैसा की किसी भी नए टीके के लिए आम बात है, एमएचआरए ने बतौर सावधानी यह सुझाव दिया है कि पूर्व में एलर्जी प्रतिक्रिया की शिकायत से पीड़ित लोग इस टीके को नहीं लगवाएं..इसकी प्रतिक्रिया के चलते त्वचा पर ददोरे, मतली, उल्टी, सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।
ब्रिटेन में फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन लगने से दो लोगों की तबीयत खराब हो गई है। जिसके बाद आनन-फानन में नेशनल हेल्थ सर्विस को चेतावनी जारी करनी पड़ी है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) ने बताया है कि इन दोनों को वैक्सीन के कारण एलर्जिक रिएक्शन हुआ है। ऐसे में ब्रिटिश स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ऐसे लोग जिन्हें किसी दवा, खाना या वैक्सीन से एलर्जी है वह फाइजर की कोरोना वैक्सीन का टीका न लगवाएं। यह मामला कोरोना वायरस वैक्सीनेशन शुरू होने के 24 घंटे के अंदर आया है इसलिए, ब्रिटिश सरकार की भी चिंता बढ़ गई है। जिन दो लोगों के ऊपर वैक्सीन का दुष्प्रभाव देखने को मिला है वे पेशे से स्वास्थ्यकर्मी हैं। फाइजर ने भारत में भी वैक्सीनेशन के लिए सरकार से अनुमति मांगी है। ऐसे में सरकार ऐसे सभी मामलों पर करीबी निगाह बनाए हुए है।
अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मनी की बायोएनटेक की तरफ से तैयार वैक्सीन के दो टीके लगाने होंगे। फाइजर का पहला टीका लगाने के बाद अगला टीका तीन हफ्ते के बाद लगाया जाएगा। जबकि, मॉडर्ना की वैक्सीन की पहली खुराक के चार हफ्ते बाद वैक्सीन की दूसरी खुराक दी जाएगी और वैक्सीन का प्राय: फौरन असर नहीं होता है। हालांकि, कोरोना वैक्सीन का पहला टीका लगने के अगले कुछ हफ्ते बाद लोग इससे कुछ बचाव की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन, पूरी तरह से बचाव वैक्सीन के दोनों टीके लगने के अगले कुछ हफ्तों बाद ही हो पाएगा।
कोरोना वैक्सीन के वितरण का सबको इंतजार है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार वैक्सीन वितरण के लिए चुनाव आयोग की मदद ले सकती है ताकि देश के हर नागरिक की जानकारी सटीक मिल सिके। वैक्सीन वितरण के लिए सरकार की ओर से बहुआयामी रणनीति को अपनाया जा सकता है। देश में अलग-अलग उम्र के लोगों को फेज के अनुसार, वैक्सीन दी जानी है। ऐसे में चुनाव आयोग के पास अधिकतर लोगों की उम्र की सटीक जानकारी है, जिनकी मदद सरकार वैक्सीन बांटने में ले सकती है।
एक्सपर्ट कमेटी की बैठक में सीरम इंस्टीट्यूट से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड के फेज-2 और फेज-3 के क्लीनिकल ट्रायल्स का डेटा देने के लिए कहा गया। इसमें ब्रिटेन में हुए ट्रायल्स का भी कुछ डेटा मंगाया गया है। बताया गया है कि सीरम इंस्टीट्यूट ने सिर्फ 14 नवंबर तक का डेटा ही जमा किया था। इसी तरह भारत बायोटेक, जो कि फिलहाल देश में तीसरे फेज के ट्रायल्स कर रहा है, ने सिर्फ फेज-1 और फेज-2 से जुड़ा सुरक्षा डेटा ही मुहैया कराया। सूत्रों का कहना है कि दोनों ही कंपनियों ने अगली तारीखों तक वैक्सीन का डेटा उपलब्ध कराने की बात कही है।
केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस वैक्सीन के वितरण के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार कोरोना वैक्सीन के वितरण में चुनाव आयोग की भी मदद ले सकती है। चुनाव आयोग की पकड़ देश के हर एक कोने और हर एक इंसान तक है। ऐसे में चुनाव आयोग की मदद से सरकार वैक्सीन को हर एक इंसान तक पहुंचा सकती है। कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार लगातार मंथन कर रही है। वैक्सीन के वितरण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों से भी सुझाव मांगे हैं।
मॉडर्ना के तीसरे चरण के मानव परीक्षण में शामिल 44 वर्षीय वॉलेंटियर ने अनुभव शेयर किया था। लक हचशन ने बताया कि उन्हें मॉडर्ना की एआरएनए वैक्सीन के पहले डोज लेने के बाद मामूली बुखार हुआ। जब दूसरा डोज लिया तो उन्हें 'कोविड-19 जैसे पूरे लक्षण' महसूस हुए। 12 घंटे तक बुखार, कंपकपी, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिर दर्द, हाथ पांव में गर्मी, खांसी, बेचैनी महसूस हुई। नॉर्थ कैरोलिया यूनिवर्सिटी में पढ़नेवाले एक अन्य वॉलेटिंयर जैक मोरनिंगस्टार के मुताबिक, "पहला खुराक लेने के बाद मुझे थकान महसूस हुआ और दूसरा डोज लेने के बाद बुखार हो गया। परीक्षण के दौरान मुझे नहीं मालूम था कि कोविड-19 वैक्सीन का डोज दिया गया है या सिर्फ प्लेसेबो।"
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऐलान किया है कि देश में 27 दिसंबर से कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा। इजरायल के लोगों को फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। इजरायल के प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सभी लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
भारत में कोरोनावायरस वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए स्नोमैन लॉजिस्टिक्स और स्पाइसजेट के बीच MoU पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसके तहत स्नोमैन ग्राउंड पर ट्रांसपोर्टेशन, मैन्युफैक्चर्स से वेयरहाउस, एयरपोर्ट तक ले जाने, उनकी पैकिंग, स्टोरेज की व्यवस्था करेगा। जबकि स्पाइसजेट वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए एयर कनेक्टिविटी मुहैया कराएगा, जिससे इसे देश में और विदेश पहुंचाया जाएगा।
केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सिनेशन के प्लान की घोषणा कर दी है। वैक्सीन कब, किसे और कहां मिलेगी, यह सब बताने के लिए Co-WIN ऐप डेवलप किया है। इसका इस्तेमाल वैक्सिनेशन में किया जाएगा। सभी राज्यों में हेल्थकेयर वर्कर्स का डेटा जुटाने की प्रक्रिया चल रही है। इस डेटा को Co-WIN ऐप पर अपलोड किया जाएगा। उसके बाद उसे वेरीफाई किया जाएगा। इस ऐप पर वैक्सीन लगाने वालों का डेटा भी होगा। इसके साथ ही वैक्सीन की उपलब्धता, डिलीवरी और एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही जिन्हें वैक्सीन लगाई गई है उनकी निगरानी से जुड़ा डेटा भी इस पर होगा।
हाल ही में आई फाइजर और मॉडर्ना कोरोन वैक्सीन गंभीर बीमारी से लड़ने में तो कारगर साबित हुई हैं। लेकिन कोरोना महामारी को फैलने से रोकने में ये वैक्सीन अभी कितनी कारगर हैं ये साफ नहीं हो सका है। क्योंकि इन वैक्सीन के ट्रायल में इसी बात का पता लगाया गया कि वैक्सीन लगाने के बाद लोग कोरोना से बीमार पड़ते हैं कि नहीं। हालांकि इस बात की गुंजाइश बनी रहती है कि टीकाकरण के बाद भी लोग कोरोना वायरस से दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं, क्योंकि ट्रायल में कोरोना के प्रसार को रोकने को लेकर कोई बात नहीं कही गई है। खासकर ऐसी स्थिति में जब टीकाकरण के बाद मरीज लापरवाह हो जाएं और मास्क पहनना छोड़ दें। पढ़ें पूरी खबर...
Pfizer और BioNTech ने कहा कि उनके वैक्सीन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स को हैक करने की कोशिश की गई। हालांकि, इस घटना से जुड़े किसी सिस्टम में सेंध नहीं लगाई गई है। Pfizer ने एक बयान जारी कर कहा कि 'हमें किसी निजी डेटा में सेंध लगाने की कोई जानकारी नहीं मिली है।' वहीं BioNTech ने कहा कि 'हमें इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि हैकिंग में हमारे स्टडी में शामिल लोगों की पहचान की गई है।' दोनों कंपनियों ने कहा कि 'EMA ने हमें भरोसा दिलाया है कि साइबर अटैक का इसकी समीक्षा के लिए तय समय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।'
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सार्वजनिक तौर पर कैमरे के सामने कोरोनावायरस की वैक्सीन लेंगे। उन्होंने इसे वैश्विक समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी करार देते हुए कहा कि जब भी वैक्सीन मुहैया होगी, हम इसे सार्वजनिक तौर पर लेंगे। उन्होंने अपील की कि सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लेना हम सभी की एक-दूसरे के प्रति नैतिक जिम्मेदारी है।
फाइजर, भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपनी वैक्सीन के लिए भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। जहां, फाइजर की वैक्सीन की कीमत 1,450 रुपए प्रति डोज के आसपास रहने की उम्मीद है। वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट के टीके की कीमत 250 रुपए हो सकती है। केंद्र सरकार के साथ कोरोना वैक्सीन-कोवीशील्ड के सप्लाय कॉन्ट्रेक्ट पर साइन करने वाली है। दूसरी तरफ भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा एल्ला ने कहा है कि कोवैक्सिन की कीमत भारत में काफी कम ही रखी जाएगी।
हेल्थ जर्नल लैंसेट ने ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के ट्रायल की पहली पूरी रिपोर्ट पब्लिश की है। यह दुनिया की किसी भी वैक्सीन के तीसरे फेज की ट्रायल के बाद पब्लिश हुई पहली रिपोर्ट है। इसके मुताबिक, ट्रायल में शामिल 24 हजार लोगों में से सिर्फ 3 लोगों पर असर अच्छा नहीं रहा। इसे लगाने के बाद किसी भी वॉलंटियर को न तो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और न किसी की मौत हुई। कोविशील्ड बिना लक्षण वाले संक्रमण (एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन) को रोकने में भी 27% कारगर रही।
भारत बायोटेक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा एल्ला ने कहा है कि उनकी इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन जनवरी 2021 में क्लिनिकल ट्रायल्स के फेज-1 में जाएगी। एल्ला ने कहा कि भारत बायोटेक में कोवैक्सिन समेत अन्य वैक्सीन बनाने के लिए दो और फैसिलिटी पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर वैक्सीन दो डोज वाली है। ऐसे में सीरिंज और निडिल्स का कचरा बढ़ने वाला है। भारत में ही 260 करोड़ सीरिंज और निडिल्स की जरूरत पड़ने वाली है। इसे ध्यान में रखते हुए भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ चिम्प-एडेनोवायरस (चिम्पांजी एडेनोवायरस) सिंगल डोज इंट्रानेजल वैक्सीन के लिए करार किया है।
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के 31 हजार 521 नए मामले सामने आए हैं। इसी के साथ देश में अब कोरोना के कुल केसों की संख्या 97 लाख 67 हजार के पार पहुंच चुकी है। इसके अलावा 412 नई मौतों के साथ कुल मृतकों का आंकड़ा 1,41,772 हो गया है। मौजूदा समय में देश में एक्टिव केसों की संख्या 3.72 लाख से कुछ ज्यादा है। वहीं, 92.53 लाख लोग ठीक हो चुके हैं।
कोरोनावायरस का टीका आने में अभी कुछ दिन बाकी हैं। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने अब देश में घर-घर जाकर सर्वे शुरू हो चुका है। इस सर्वे के तहत लोगों की पहचान की जा रही है जिन्हें टीका आने के बाद पहली डोज दी जाएगी। इनमें 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग शामिल हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक विभिन्न राज्यों में घर-घर जाकर सर्वे शुरू हो चुका है। गुजरात में 10 से 13 दिसंबर के बीच तीन दिन के लिए सर्वे शुरू होगा। वहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में अगले सप्ताह सर्वे शुरू होगा। छत्तीसगढ़, बिहार और राजस्थान में सर्वे शुरू हो चुका है। आईसीएमआर के डॉ लोकेश शर्मा ने बताया कि टीकाकरण के पहले चरण के तहत स्वास्थ्य कर्मचारियों और सुरक्षा जवानों को टीका दिया जाना है। इन लोगों का डेटा तैयार हो चुका है।
ब्रिटेन और बहरीन के बाद अब कनाडा ने बुधवार को दो कोरोना वैक्सीन का मंजूरी दे दी है। इसमें फाइजर और बायोएनटेक कंपनियां शामिल हैं। कनाडा के स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया है कि 'कनाडा के लोग विश्वास कर सकते हैं कि जो हमारे पास मजबूत निगरानी व्यवस्था है उसके जरिए कड़ी समीक्षा प्रक्रिया की गई है। जैसे ही यह वैक्सीन बाजार में आ जाएगी हेल्थ कनाडा और पब्लिक हेल्थ एजेंसी ऑफ कनाडा बेहद करीब से इस वैक्सीन की निगरानी करेगी और अगर कोई चिंता की बात सामने आती है तो जरूरी फैसले लिए जाएंगे।
ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन लोगों को दी जाने लगी है। सरकार ने कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर को टीकाकरण की अनुमति दी है। हालांकि, अब ब्रिटेन सरकार के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है। कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद दो लोग बीमार हो गए हैं, जिस कारण अब सरकार ने एहतियातन एडवाइजरी जारी की गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों पीड़ित स्वास्थ्यकर्मी Anaphylactoid Reactions के शिकार हुए हैं। डॉक्टरों के अनुसार, ये एक आपात स्थिति है, जिसमें तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। आमतौर पर इसके लक्षण 5 से 30 मिनट के भीतर दिखाई देने लगते हैं। इसका खुलासा होने के बाद ब्रिटेन की रेगुलेटरी एजेंसी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा, 'ऐसे किसी भी व्यक्ति, जिन्हें किसी दवा, खाना या वैक्सीन से पर्याप्त एलर्जी है तो उन्हें फाइजर की वैक्सीन न दी जाए।