“ऑक्सीजन का प्रबंध कर लीजिए, क्योंकि 20 अप्रैल तक दैनिक संक्रमणों की संख्या तीन लाख और अप्रैल के अंत तक पांच लाख होगी।” यह बात 10 दिन पहले नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कही थी, जो कि उच्चाधिकार प्राप्त अधिकारियों के समूह (नीति आयोग का हिस्सा) के मुखिया हैं।
डॉ पाल ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष चेतावनी भी दी थी कि कोविड का रूप और भयंकर होने वाला है और देश को ज्यादा मात्रा में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा था कि दैनिक संक्रमणों की संख्या छह लाख भी जा सकती है। ऐसी असाधारण स्थिति में प्लान बी के तहत असाधारण उपाय करने होंगे। एक बैठक के दौरान कहा गया कि कोविड के कारण बदतर स्थिति और उसके कारण पैदा हुई ऑक्सीजन की मांग की जानकारी एक अन्य उच्चाधिकार प्राप्त समुह (ग्रुप-2) को दी जाए। ऑक्सीजन और चिकित्सकीय उपकरणों की व्यवस्था का जिम्मा इसी समूह के पास है। इसके मुखिया औद्योगिक विकास विभाग के सचिव डॉ गुरुप्रसाद महापात्र हैं।
सूत्रों का कहना है कि अप्रैल के पहले पखवाड़े में हुई अधिकारियों के समूह की बैठक में ही डॉ पॉल ने सरकार से अनुरोध किया था कि वह प्लान बी को भी खंगाले। प्लान बी क्या है? यह नहीं पता चल सका।
बाद में राज्य सरकारों के लिए जारी स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कोविड के कठोर प्रबंधन के लिए कहा गया। राज्य सरकारों को हालात को काबू में लाने के लिए सख्त उपाय करने की ताकीद की और चेताया कि मौजूदा ढांचा कोविड की इस बड़ी लहर से निपटने में नाकाफी हो सकता है।