देश में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच कई राज्यों के अस्पताल इस वक्त मरीजों से भरे पड़े हैं। स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल स्टाफ की कमी की वजह से इतने मरीजों की देखभाल करने में भी प्रशासन को खास दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी दिल्ली में भी हालत बेहद खराब हैं। वैसे तो आइसोलेशन वॉर्ड में मरीजों के अलावा और किसी के आने की इजाजत नहीं होती, लेकिन यहां जब कभी किसी मरीज को मदद की जरूरत होती है तो परिवारवालों को ही आगे आ कर खुद को जोखिम में डालना पड़ता है। यहां तक की खाने से लेकर पानी देने और बाथरूम ले जाने तक परिजन ही कोविड-19 मरीजों के करीब जाने का खतरा उठाते हैं।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली का जीटीबी अस्पताल पहले ऐसे सरकारी अस्पतालों में था, जिन्हें कोरोनावायरस फैसिलिटी घोषित किया गया था। दिल्ली सरकार की वेबसाइट के मुताबिक, शुक्रवार शाम तक इस अस्पताल में 228 मरीज भर्ती थे। अस्पताल के बाहर मौजूद विपिन श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि उनकी बहन कुछ ही देर पहले अपने पति की मदद करने के लिए अस्पताल के अंदर गई है। उन्होंने बताया कि उनके परिजन पिछले 7 दिनों से इसी अस्पताल में हैं। ऐसे में उन्हें और उनकी बहन को अस्पताल के बाहर ही दिन काटने पड़ते हैं, वे सिर्फ रात को ही यहां से जा पाते हैं।

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विपिन के मुताबिक, “अस्पताल में मरीजों को खाना और पानी तक समय पर नहीं दिया जाता। उन्हें टॉयलेट जाने के लिए मदद तक नहीं की जाती। हम ही हैं, जिन पर उन्हें मदद के लिए निर्भर रहना पड़ता है।”

दिल्ली के इसी अस्पताल के बाहर करीब 5 और ऐसे परिवार दिखाई दिए, जो अपने भर्ती परिजन की मदद के लिए दिन भर पार्कों और परिसर में बैठते हैं। उनका कहना है कि जब भी वे अस्पताल के अंदर जाते हैं, तब उन्हें सुरक्षा के लिए सिर्फ मास्क का भरोसा होता है। अस्पताल में एक महिला ने बताया कि बीते कुछ समय में उनकी मां की तबियत खराब होने की वजह से उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है। उन्होंने कहा, “मैं कह सकती हूं कि वहां उन्हें कुछ ठीक इलाज मिल रहा होगा, लेकिन जब वे वॉर्ड में थीं, तब उन पर बाकी मरीजों की तरह कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता था। मुझे खुद वॉर्ड में जाकर सुनिश्चित करना पड़ता था कि सब ठीक है। स्टाफ खुद मरीजों को देखने के लिए वॉर्ड में नहीं जाता।”

जीटीबी अस्पताल की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां कोविड-19 मरीजों के परिजनों को रोकने के लिए बेहद कम स्टॉप पॉइंट हैं। गार्ड्स भी अंदर आने वालों को नहीं रोकते। इमरजेंसी वॉर्ड के करीब स्थित एक्सीडेंट और कैजुअल्टी वॉर्ड में लगातार मरीजों की आवाजाही जारी रहती है। कई बार तो स्ट्रेचर में भी।

जीटीबी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार ने इस बात से इनकार किया कि मरीजों के परिवारवालों को ही उनकी मदद के लिए अस्पताल के अंदर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा, “हमारी सिक्योरिटी काफी सख्त है। मरीजों के अलावा वॉर्ड में किसी को जाने की इजाजत नहीं है।” ड्यूटी पर मौजूद एक चीफ मेडिकल ऑफिसर ने नाम न साझा करते हुए कहा कि वे जब तक ड्यूटी पर रहते हैं, तब तक किसी भी मरीज के परिजन को वॉर्ड में नहीं आने देते। सिर्फ नर्सिंग स्टाफ ही पीड़ितों की देखभाल करता है।