आशीष दुबे

कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के कारण लागू हुई देशबंदी का असर अब अंतिम संस्कार पर पड़ने लगा है। देशबंदी के कारण पिछले करीब तीन सप्ताह से वाहनों का आवागमन बंद है। इस कारण नोएडा के सेक्टर-94 स्थित अंतिम निवास में लकड़ियों की भारी कमी हो गई है। अंतिम निवास का संचालन कर रही संस्था नोएडा लोकमंच ने इस कमी के कारण अंतिम संस्कार में आने वाले लोगों से लकड़ियों की जिद ना कर, बल्कि शवों का संस्कार सीएनजी से ही कराने की अपील की है। ताकि अंतिम निवास की व्यवस्था निर्विरोध चलती रहे।

नोएडा लोकमंच के महासचिव महेश सक्सैना ने बताया कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए देशबंदी लागू की गई है। इस वजह से बुलंदशहर आदि इलाकों से पहुंचने वाली लकड़ियों की आवक रुक गई है। अब अंतिम निवास में संस्कार के लिए लकड़ी की उपलब्धता बहुत कम हो गई है। ऐसे में सीएनजी से संस्कार किया जाना ही अपेक्षित है। लकड़ी की जगह सीएनजी से संस्कार किया जाना पर्यावरण की शुद्धता के लिए भी उपयोगी है। साथ ही इसमें खर्च भी कम आता है। इसलिए लोगों से निवेदन किया है कि लकड़ी से संस्कार के लिए बाध्य ना करें और सीएनजी से ही संस्कार करवाएं।

सेक्टर-94 स्थित अंतिम निवास में रोजाना करीब 15 शव और हर महीने औसतन 350 शव आते हैं। अभी तक इनमें से महज 10 फीसद शवों का सीएनजी के जरिए अंतिम संस्कार किया जाता है। लकड़ी के परंपरागत तरीके से संस्कार करने का 2500-3000 रुपए खर्च आता है, जबकि सीएनजी से यह 2000 रुपए आता है। गरीबों एवं लावारिस शवों का भी यहां नि:शुल्क संस्कार भी किया जाता है। अंतिम निवास में सीएनजी की आपूर्ति करने वाली कंपनी आइजीएल से संस्था ने रियायती दर पर गैस की आपूर्ति करने की मांग की है। साथ ही जिलाधिकारी, सीईओ नोएडा से वन विभाग के डिपो से भी लकड़ियां उपलब्ध कराने को कहा है।

‘कोरोना से जान गंवाने वाले शवों का किस तरह किया जाए संस्कार’
सेक्टर- 94 स्थित अंतिम निवास का संचालन कर रही संस्था नोएडा लोकमंच ने डीएम, सीएमओ, पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर कोरोना संक्रमित शव के संस्कार के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताने को कहा है। अगर ऐसे शवों का संस्कार किए जाने से पहले कर्मचारियों को कोई विशेष वर्दी, मास्क आदि पहनने अनिवार्य हैं, तो उन्हें भी यहां के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध कराया जाए।

पुलिस ने ई-पास और एंबुलेंस की व्यवस्था कर भेजा शव

भंगेल के रहने वाले एक युवक के पिता का बुधवार देर रात देहांत हो गया। युवक ने पिता के शव को गांव ले जाने के लिए नोएडा पुलिस को ट्वीट कर मदद मांगी। पुलिस ने ई-पास और एम्बुलेंस की व्यवस्था कराकर उन्हें शव के साथ गांव भेजने की व्यवस्था कर दी। मूलरूप से बिहार के बेतिया जिला निवासी रवि तिवारी भंगेल में परिवार के साथ किराए के मकान में रहते हैं। उनके पिता शिव शंकर तिवारी पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। रवि ने पिता को 3 अप्रैल को दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां बुधवार रात उनकी मौत हो गई। रवि ने तुरंत नोएडा पुलिस को ट्वीट कर शव को गांव ले जाने के लिए मदद मांगी। रवि के ट्वीट को संज्ञान में लेकर नोएडा पुलिस ने उससे संपर्क किया। इसके बाद पास और एम्बुलेंस की व्यवस्था कर उन्हें गांव भिजवा दिया।