लॉकडाउन के चलते देश में प्रवासी मजदूरों का पलायन लगातार जारी है। हालांकि हरियाणा में इसका उल्टा दिखाई दे रहा है। दरअसल हरियाणा सरकार के वेब पोर्टल पर एक लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों ने राज्य में काम पर लौटने के लिए आवेदन किया है। हरियाणा लौटने की इच्छा जाहिर करने वाले प्रवासी मजदूर यूपी और बिहार के हैं। आंकड़ों के अनुसार, जिन 1.09 लाख प्रवासी मजदूरों ने हरियाणा काम पर लौटने की इच्छा जाहिर की है, उनमें से 79.29 फीसदी गुरुग्राम, फरीदाबाद, पानीपत, सोनीपत, झज्जर, युमनानगर और रेवाड़ी लौटना चाहते हैं। वहीं 50 हजार से ज्यादा अकेले गुरुग्राम आना चाहते हैं।
गौरतलब है कि हरियाणा में सबसे ज्यादा इंडस्ट्री और बिजनेस ईकाइयां इन्हीं जिलों में हैं। हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने बताया कि ‘यदि प्रवासी मजदूर हरियाणा आना चाहते हैं तो हम उन्हें वापस लाने का इंतजाम करेंगे। राज्य में औद्योगिक गतिविधियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं।’
अधिकारियों का मानना है कि हरियाणा में कोरोना मरीजों की कम संख्या भी प्रवासी मजदूरों के लौटने की बड़ी वजह है। बता दें कि हरियाणा में कोरोना के कुल मरीज 647 हैं, इनमें से 14 इटली के निवासी भी शामिल हैं। राज्य में अब तक कोरोना से 8 लोगों की मौत हुई है और 279 लोग बीमारी से रिकवर भी हो चुके हैं।
हरियाणा सरकार ने उन प्रवासी मजदूरों के लिए जो राज्य में काम पर वापस लौटना चाहते हैं, उनके लिए 6 दिन पहले ही एक वेब पोर्टल लॉन्च किया था। 8 मई तक ही इस पर 1.46 लाख मजदूरों ने वापस लौटने के लिए पंजीकरण किया है। वापस लौटने वाले कुल मजदूरों में से तीन चौथाई बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूर हैं। हरियाणा सरकार ने प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए 100 ट्रेन चलाए जाने की मांग की है।
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस आना चाहते हैं लेकिन प्रतिबंधों के चलते वह वापस नहीं आ पा रहे हैं। करीब दो महीने बीत जाने के बाद भी उनके पास कोई नौकरी नहीं है। हरियाणा में औद्योगित इकाईयां शुरू हो चुकी हैं और उनके मालिक शायद मजदूरों को वापस बुला रहे हैं। यही वजह है कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य में वापस आना चाहते हैं।