Kamal Saiyed

ओडिशा के गंजम जिले का रहने वाला सुशांत दलाई गुजरात के सूरत में काम करता है। लॉकडाउन के बीच सरकार द्वारा चलायी जा रहीं स्पेशल ट्रेन से अपने घर लौट रहा है लेकिन उसे इस बात का मलाल है कि वह खाली हाथ घर लौट रहा है। वह अपनी पांच साल की बेटी के लिए कोई गुड़िया, ना ही 6 साल के बेटे के लिए कोई खिलौना कार, ना बीवी के लिए ‘सूरत की साड़ी’ कुछ भी नहीं लेकर जा रहा है। सुशांत का कहना है कि ‘यहां तक कि उसके माता-पिता भी मुझसे तोहफे लेने का इंतजार कर रहे होंगे।’

सुशांत सूरत की एक पावरलूम यूनिट में काम करता है और प्रवासी मजदूरों के लिए चलायी जा रही स्पेशल ट्रेन में सीट पाने में कामयाब रहा। बता दें कि सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों, लॉकडाउन की वजह से फंसे तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और छात्रों को घर पहुंचाने के लिए ये स्पेशल ट्रेन चलायी जा रही हैं।

सुशांत ने बताया कि उसे एक दोस्त से इस स्पेशल ट्रेन के बारे में पता चला था, जिसके बाद उसने सूरत म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा चलाए जाने वाले ओडिया स्कूल में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। बता दें कि शुक्रवार से ये विशेष ट्रेनें चलनी शुरू हुई हैं और दो ट्रेनें शनिवार को गुजरात से ओडिशा के लिए और दूसरी उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुई।

ओडिशा के पुरी जाने वाली ट्रेन में 20 कोच में 1250 यात्री सवार हैं और तीन सीटों पर दो लोगों को बैठाकर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया है। अपने अपने घर पहुंचने पर प्रवासी मजदूरों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जाएगा, जिसके बाद उन्हें अपने घर जाने की इजाजत होगी।

सूरत रेलवे स्टेशन के निदेशक सीएम गरुड़ ने बताया कि यात्रा 25 घंटे की होगी, जिसमें 8 स्टॉप होंगे। इन स्टॉप पर ड्राइवर्स की शिफ्टिंग होगी और यात्रियों के लिए खाने-पीने, पानी और अन्य जरूरत की चीजों का इंतजाम होगा। ट्रेन में मेडिकल इमरजेंसी की भी व्यवस्था की गई है।

शनिवार को यात्रियों को म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की बसों द्वारा रेलवे स्टेशन ले जाया गया, जहां उनकी मेडिकल स्क्रीनिंग की गई। अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय उड़िया संगठन द्वारा यात्रियों की लिस्ट तैयार की गई है। डिप्टी कलेक्टर की मंजूरी मिलने के बाद हम टिकटों का भुगतान किया गया। यात्रियों के नामों और अन्य डिटेल्स की जानकारी रेलवे को दे दी गई है। यात्रियों को टिकट देते समय उनसे उसकी कीमत ली गई।

बता दें कि सूरत में करीब 15 लाख प्रवासी मजदूर काम करते हैं और अधिकार टेक्सटाइल यूनिट्स में काम करते हैं। लॉकडाउन के चलते ये मजदूर यहां फंसे हुए थे। पिछले कुछ दिनों में यहां प्रवासी मजदूरों द्वारा घर भेजे जाने की मांग करते हुए हिंसा भी की थी।