कोरोना वायरस माहमारी के चलते पूरी दुनिया संकट से घिरी है। हालांकि इस संकट के बीच कुछ अच्छी बातें भी देखने को मिली हैं। ऐसी ही एक अच्छी बात पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में देखने को मिली, जहां धर्म की दीवार गिर गई और एक मस्जिद और मदरसे के हॉस्टल को क्वारंटीन सेंटर में तब्दील कर दिया गया। खबर के अनुसार, नादिया जिले के कालीगंज ब्लॉक के भागा गांव में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने गांव में स्थित मस्जिद और दारुल उलूम मदरसा के हॉस्टल को क्वारंटीन सेंटर में तब्दील करने की मंजूरी दे दी।
ग्राम पंचायत के सचिव ने बताया कि इस माहमारी के बीच भाईचारे का संदेश देने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। अब इन क्वारंटीन सेंटर में लोगों से बिना उनका धर्म पूछे आइसोलेट करके रखा जा रहा है। बता दें कि इससे पहले गुजरात के वडोदरा में भी एक मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित मदरसा ने अपने हॉस्टल को क्वारंटीन सेंटर बनाने की मंजूरी दी थी।
वहीं एक दूसरी घटना में ओडिशा में हिंदू समुदाय की तरफ से भाईचारे की मिसाल पेश की गई है। जहां बंगाल के दो मुस्लिम प्रवासी मजदूरों को एक मंदिर में करीब एक माह तक ठहरने की इजाजत दी गई। दे टेलीग्राफ की खबर के अनुसार, पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर के निवासी दो मजदूर शेख मोहसिन अली और अनिसुर आलम ओडिशा के जाजपुर जिले के ब्राह्मनीकुडा गांव में काम करते हैं।
लॉकडाउन के चलते उनका काम बंद हो गया तो कुछ दिन तो उन्होंने जैसे तैसे करके बिना छत के गुजारे। इसके बाद गांव के लोगों ने उनकी परेशानी समझी और उन्हें गांव के मंदिर के एक कमरे में ठहरने की इजाजत दे दी। इस दौरान उन्हें सिर्फ मंदिर परिसर में मांस मछली नहीं पकाने की हिदायत दी गई।
करीब एक माह तक मंदिर परिसर में स्थित कमरे में ठहरने के बाद दोनों प्रवासी मजदूर साइकिल से बंगाल स्थित अपने घर के लिए 17 मई को रवाना हो गए।