Coronavirus in India: स्वास्थ्यकर्मी दुनियाभर में घातक कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में जुटे हैं, इसलिए उनकी काम करने की स्थिति अधिक से अधिक जांच के अधीन है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नर्सो की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होती है। इनमें से 59 फीसदी या 2.79 करोड़ की संख्या स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों में इनका सबसे बड़ा हिस्सा है, जो यह दर्शाता है कि उनकी भूमिका, और विशेष रूप से वर्तमान स्वास्थ्य संकट के दौरान सर्वोपरि है। इस मामले में मंगलवार को WHO के साथ इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (ICN) और नर्सिंग नाउ कैंपेन ने ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स नर्सिंग’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।

रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक स्तर पर प्रति 10,000 लोगों में लगभग 36.9 नर्स हैं। जिनमें भी क्षेत्रवार भिन्नता है। उदाहरण के लिए अमेरिका में अफ्रीकी क्षेत्र की तुलना में लगभग 10 गुना से अधिक नर्स हैं। जहां 10,000 की जनसंख्या पर 83.4 नर्स हैं जबकि अफ्रीकी क्षेत्र में 10,000 लोगों पर महज 8.7 नर्स हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक दुनिया भर में 57 लाख से अधिक नर्सों की कमी होगी। इसी बीच कोरोनो वायरस संकट के चलते इंग्लैंड की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) ने उन नर्सों को बुलाया है जो पहले से पंजीकृत थे, ताकि कोरोना में उनकी मदद ली जा सके।

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भारत की बात करें यहां एक समस्या नर्सों की सैलरी को लेकर भी है। देश में नर्से अक्सर न्यूनतम मजदूरी की मां करती रही हैं। उदाहरण के लिए नवंबर 2018 में दिल्ली के बत्रा अस्पताल और चिकित्सा अनुसंधान केंद्र की नर्सें हड़ताल पर चली गईं। इन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अतिरिक्त घंटे काम करने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन उनके अनुसार भुगतान नहीं किया गया था।

भारत के संबंध में नर्सिंग क्षेत्र का हाल
2018 तक 130 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले भारत में 15.6 लाख नर्स और 772,575 नर्सिंग सहयोगी थे। इसमें से पेशेवर नर्सों की हिस्सेदारी 67 फीसदी है। स्वास्थ्य कार्यबल के भीतर 47 फीसदी मेडिकल स्टाफ के सदस्य शामिल हैं। उसके बाद 23.3 फीसदी डॉक्टर, 5.5 फीसदी डेन्टिस्ट और 24.1 फार्मासिस्ट हैं।

भारत में नर्सिंग क्षेत्र में रिकॉर्ड 88 फीसदी महिलाए हैं। यह वैश्विक स्तर की नर्सिंग संरचना के अनुरूप है, जहां 90 फीसदी महिलाएं इस क्षेत्र से जुड़ी हैं। रिपोर्ट में हेल्थकेयर पर भारत के मौजूदा खर्च को भी उजागर किया गया है जो कि 2017 के अनुसार प्रति व्यक्ति 1960 डॉलर है जो जीडीपी का 3.5 फीसदी है।