कोरोना महामारी ने ऐसा दिन दिखाया है कि बड़े-बड़े लोग भी अपनी हिम्मत हार बैठे हैं। सत्ताधारी भाजपा के दिग्गज नेता भी इस कहर के आगे मजबूर हो गए हैं। हाल यह है कि बेड और ऑक्सीजन छोड़िए, कोरोना जांच के लिए भी पैरवी की जरूरत पड़ रही है। जहां केंद्र सरकार कोरोना पर जीत का दावा कर रही थी, वहीं अब स्थिति इतनी भयानक हो गई है कि प्रधानमंत्री मोदी को भी इसे ‘तूफान’ बताना पड़ा।

चार महीने की शांति के बाद महामारी ने भयंकर रूप ले लिया है और अब श्मशान में भी लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों में कई बड़े नेता, सांसद और अधिकारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में जो लोग राजनीति में हैं या प्रशासन में पहुंच रखते हैं, उनके पास मदद के लिए लगातार फोन आ रहे हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, ‘जब भी फोन की घंटी बजती है, चिंता होने लगती है। भगवान ही जानता है कि उधर से क्या कहा जाएगा। कोई हॉस्पिटल में बेड मांगेगा, कोई रेमडीसिविर कोई ऑक्सीजन और कोई जांच के लिए कहेगा। सबकी जरूरतों को पूरा करना बहुत मुश्किल हो गया है।’

बता दें कि यह बात कहने वाला शख्स प्रशासन में अच्छी पकड़ रखता है और उन्होंने स्वीकार किया कि सिस्टम में कई लूपहोल रह गए। उन्होंने कहा, इस समय पैसा और राजनीतिक रसूख भी काम नहीं आ रहा है। इसी वजह से लोग अधीर हो रहे हैं और हमसे बेहद नाराज हैं।

एक दूसरे भाजपा नेता ने कहा, पिछली बार मजदूरों के लिए भोजन और ट्रांसपोर्ट की जरूरत थी, जिसे पूरा करना बेड और ऑक्सीजन की तुलना में आसान था। उन्होंने कहा, ‘चारों तरफ डर का माहौल है। हम अपने कैडर के लोगों की भी रिक्वेस्ट नहीं सुन पा रहे हैं। हमारे कार्यकर्ता और करीबी लोग ही मर गए। हम उनकी मांग समय पर नहीं पूरी कर पाए। स्थिति बहुत चिंताजनक है।’

RSS के एक बड़े नेता ने कहा, संकट बड़ा है, झेलना तो पड़ेगा। संकट भी बड़ा है और अपेक्षाएं भी बड़ी हैं। उन्होनें कहा कि उनके कई कार्यकर्ता संक्रमित हो गए हैं। भाजपा शासित प्रदेश और अन्य प्रदेश भी केंद्र की तरफ उम्मीद की नजरों से देख रहे हैं। वहीं एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है। एक राज्य में भाजपा के मुखिया ने कहा, कार्यकर्ताओं से हमें ताकत तो मिलती है लेकिन ऑक्सीजन और अस्पताल की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता। चारों तरफ दहशत का माहौल है।