जब भी हम कोरोना वायरस का नाम सुनते हैं तो एक ऐसे दौर का नक्शा हमारे ज़हन में घूमने लगता है जब पूरी दुनिया अस्त-व्यस्त दिखाई दी थी। 2019 से अब तक इस वायरस ने अलग-अलग तरह से दुनिया को प्रभावित किया है। ताजा खबरों की मानें तो कोरोना एक बार फिर हमारे बीच में है, इस बार एक नए वेरिएंट के साथ। इस वेरियंट का नाम BA.2.86 है, जिसे पिरोला (Pirola) के नाम से भी जाना जा रहा है।
इस वेरिएंट को बहुत ज्यादा म्यूटेशन के रहते वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग माना गया है। BA 2.86 को WHO की निगरानी के तहत रखा गया है। रोटरी क्लब ऑफ मद्रास नेक्स्टजेन में कोरोना-वायरोलॉजिस्ट और कोविड जागरूकता विशेषज्ञ डॉ. पवित्रा वेंकटगोपालन मीडिया से बातचीत में कहा कि BA.2.86 के इस विशेष स्ट्रेन के साथ कुछ नए लक्षण जुड़े हुए हैं।
फिलहाल भारत में नहीं है नया वेरियंट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक BA 2.86 फिलहाल भारत नहीं पहुंचा है। इसका असर फिलहाल अमेरिका, डेनमार्क, इजराइल और यूके सहित कई देशों में पाया गया है। इस वेरिएंट पर खास नजर रखी जा रही है ताकि बड़ा खतरा ना पैदा हो। एक्स्पर्ट्स का मानना है कि दिसंबर 2019 के बाद से कोविड-19 अलग-अलग रूप में सामना आता रहा है। 3 से 4 सालों के बीच अलग-अलग तरह के वेरियंट की पहचान की गई है। एक्स्पर्ट्स का कहना है कि इस दौरान बीटा (Beta), गामा (Gamma), डेल्टा (Delta) और ओमिक्रोन (Omicron) जैसे वेरियंट देखे गए हैं।
यह सब कोविड-19 के कारण सामने आए थे। एक्स्पर्ट्स कहते हैं कि होता यह है कि जब कोविड के विभिन्न लक्षणों वाले लोगों की पहचान की जाती है, तो उनका नमूना एकत्र किया जाता है और इंडेक्सिंग के लिए भेजा जाता है। इंडेक्सिंग यह समझने का एक सरल तरीका है कि यह वायरस किस चीज से बना है। इनमें से प्रत्येक प्रकार अलग-अलग व्यवहार करता है क्योंकि उनमें अलग-अलग आनुवंशिक (Genetic) परिवर्तन होते हैं। एक्सपेर्ट डॉ पवित्रा का कहना है कि बीए 2.86 में कुछ नए अतिरिक्त लक्षण हैं जो इस प्रकार के संक्रमण से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं।