कोरोना की दूसरी भयावह लहर झेल रहे भारत के समक्ष सबसे बड़ा मसला वैक्सीन उपलब्ध कराने का बन गया है। केंद्र सरकार ने अपनी नीति में बदलाव कर राज्यों को टीके की खरीद का अधिकार दे दिया है, लेकिन राज्यों को ये फैसला रास नहीं आ रहा। नए घटनाक्रम में झारखंड के सीएम ने टीके की खरीद करने में असमर्थता जताई है।
पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि 18-44 आयुवर्ग को टीका लगाने के लिए उनके पास पैसा नहीं है। राज्य के वित्तीय हालात ऐसे नहीं हैं जो वो 1100 करोड़ रुपये का प्रबंध कर सके। टीके की खऱीद में इतना ही पैसा लगना है। उनका कहना है कि केंद्र इस मामले में कोई असरदार कदम उठाए। बकौल सोरेन, केंद्र खुद टीका खरीद कर राज्य सरकार को उपलब्ध कराए। उनका कहना है कि अगर टीके की खरीद का बोझ पूरी तरह राज्य पर पड़ जाता है, तो उनकी वित्तीय स्थिति काफी खराब हो जाएगी।
Jharkhand CM writes to PM seeking free Covid vaccine for 18-44 age group, says state unable to incur Rs 1,100 crore due to resource crunch
— Press Trust of India (@PTI_News) May 31, 2021
उधर, केरल के सीएम पिनराई विजयन ने भी गैर-भाजपा शासित राज्यों के 11 मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर केन्द्र पर कोविड-19 के टीके खरीदने और मुफ्त सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाने के के लिए एकजुट होने की अपील की। विजयन ने कहा कि टीका निर्माण कंपनियां स्थिति का फायदा उठाकर वित्तीय लाभ हासिल करने में लगी हुई हैं और विदेशी दवा कंपनियां टीके की खरीद के लिए राज्यों के साथ समझौता करने को तैयार नहीं हैं।
विजयन ने इस पत्र के साथ,उस पत्र की प्रति भी संलग्न की, जो उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखी थी। उन्होंने कहा कि केंद्र ऐसा बर्ताव कर रहा है जिससे लगता है कि टीके उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्यों पर है। ये संघीय व्यवस्था के मूल आधार की अवहेलना है। विजयन ने कहा कि केंद्र टीकों की खरीद कर उन्हें मुफ्त में राज्यों को वितरित करे।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने पहले तय किया था कि टीके की खरीद केंद्र करेगा और राज्यों को इन्हें मुहैया कराएगा। लेकिन बाद में मोदी सरकार ने यू टर्न लेते हुए टीके की खरीद का भार राज्यों पर भी डाल दिया। लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच टीके की कीमत को लेकर है। वैक्सीन कंपनियां केंद्र को जहां वैक्सीन 150 रुपये में उपलब्ध करवा रही हैं वहीं राज्यों को इसके लिए ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। उस पर भी तुर्रा ये कि वैक्सीन कंपनियां टीका दे पाने में हाथ खड़े कर रही हैं।