अमेरिका ने कोविड-19 टीकों के उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने की भारत की मांग को ठुकरा दिया है। अमेरिका की तरफ से कहा गया है कि वो भारत की जरूरतों को समझता है लेकिन पहले अमेरिकियों का टीकाकरण जरूरी है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत की आवश्यकताओं को समझता है लेकिन अमेरिकी लोग उसकी पहली जिम्मेदारी है। पहले अमेरिका के लोगों को वैक्सीन मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका की जनता और यह देश दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना में कोरोना से ज्यादा प्रभावित है। अमेरिकी जनता का टीकाकरण सिर्फ अमेरिका के हित में नहीं है बल्कि यह बाकी दुनिया के लिए भी फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री ने भी कई बार कहा है कि कहीं भी वायरस फैलता है तो उसके हर जगह फैलने का खतरा है।
बताते चलें कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच पिछले हफ्ते कोविड -19 और स्वास्थ्य सहयोग को लेकर चर्चा हुई थी। जिसके बाद ये माना जा रहा था कि वाशिंगटन की तरफ से टीके के कच्चे माल को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी।
गौरतलब है कि अमेरिका ने युद्धकाल में इस्तेमाल होने वाले ‘रक्षा उत्पादन कानून’ (डीपीए) को लागू कर दिया है। जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों के पास घरेलू उत्पादन के लिए कोविड-19 टीकों और निजी सुरक्षा उपकरणों के उत्पादन को प्राथमिकता देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
बताते चलें कि अमेरिका में कोविड-19 टीकों के उत्पादन को बढ़ा दिया गया है। अमेरिका 4 जुलाई तक अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण करने की योजना में है। इस दौरान कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता केवल घरेलू विनिर्मातओं को यह सामग्री उपलब्ध करवा सकते हैं। हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने भी अमेरिका के राष्ट्रपति से कच्चे माल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की थी।