देश के 21 हवाई अड्डों और 77 बंदरगाहों पर की जा रही थर्मल स्क्रिनिंग से तुरंत नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण का पता नहीं चलता है। थर्मल स्क्रिनिंग की कुछ बंदिशें हैं, यही कारण है कि कोरोना के संभावित पीड़ित पकड़ में नहीं आ पाते हैं। इस जांच प्रणाली से हवाई अड्डे पर दो मार्च तक 5.70 लाख से अधिक लोगों की स्क्रिनिंग की जा चुकी है। इसके बाद भी तीन लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं जिनमें से एक दिल्ली, दूसरा तेलंगाना और तीसरा जयपुर में इतावली पर्यटक का है। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक हवाई अड्डों या बंदरगाहों पर थर्मल स्क्रिनिंग के जरिए लोगों के शरीर के तापमान की जांच होती है। कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के लक्षण सामने आने में कुछ दिन लग जाते हैं। ऐेसे में संक्रमित व्यक्ति, जिसका तापमान सामान्य है, थर्मल स्क्रिनिंग से बचकर निकल सकता है। अधिकारी के मुताबिक थर्मल स्क्रिनिंग से व्यक्ति के बुखार के बारे में पता चलता है।
उन्होंने बताया कि स्क्रिनिंग के दौरान जिन लोगों का तापमान अधिक होता है, उनकी विशेष रूप से जांच की जाती है। मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक इसलिए अब तक जो भी लोग संक्रमित सामने आए हैं, उन्होंने खुद ही अपने संक्रमण के बारे में बताया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने सोमवार को बताया था कि दिल्ली और तेलंगाना में मिले कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के सभी संपर्कों को ढूंढ़ा जा रहा है। इसके बाद उनकी जांच की जाएगी। जांच में नेगेटिव पाए जाने पर भी इन लोगों को 14 दिन तक घर में अलग रहने के लिए कहा जाएगा। डॉक्टर हर्षवर्धन ने यह भी बताया था कि केरल में पाए गए एक संक्रमित व्यक्ति के हमने 162 संपर्कों को ढूंढ़ा था और उन्हें भी निगरानी में रखा गया था।
नोवेल कोरोना वायरस क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक नोवेल कोरोना वायरस जानवरों से मनुष्यों में आया है। इससे संक्रमित लोगों को सांस लेने में परेशानी, तेज बुखार, श्वसन तंत्र में संक्रमण आदि होता है। संक्रमण के अधिक बढ़ने पर व्यक्ति को निमोनिया, गंभीर श्वसन संबंधी बीमारी और गुर्दा तक खराब हो सकता है। यह संक्रमण चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ है और अब तक यह वायरस 65 देशों तक पहुंच गया है।

