पवन गौतम
राजा मानसिंह की हत्या में दोषी ठहराए गए सभी 11 पूर्व पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 1990 में यह मामला मथुरा जिला अदालत में स्थानांतरित किया गया था। 35 साल बाद 21 जुलाई को इस हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया।
दूसरी ओर, कान सिंह सिरवी (निरीक्षक) तथा गोविंदराम व हरिकिशन (दोनों कांस्टेबल) को आरोपमुक्त घोषित कर दिया गया है। राजस्थान सरकार मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को 30-30 हजार और घायलों के परिजनों को दो-दो हजार का मुआवजा देगी।
उधर, राजा मान सिंह की बेटी दीपा कौर ने कहा कि जो फैसला आया है वह सबके लिए खुशी की बात है। उन्हें 35 साल बाद न्याय मिल गया है। वादी पक्ष के अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने बताया कि 21 फरवरी 1985 को हुए इस बहुचर्चित हत्याकांड की सुनवाई के दौरान कुल 1700 तारीखें पड़ीं और आठ बार अंतिम बहस हुईं। इस दौरान कुल 19 जज भी बदले। सुनवाई में कुल 78 गवाह पेश हुए। इनमें से 61 गवाह वादी पक्ष और 17 गवाह बचाव पक्ष की ओर से पेश किए गए। एक अनुमान के मुताबिक इस मुकदमे में आरोपित बनाए गए 18 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में करोड़ों का खर्च हुआ है।
राजा मान सिंह हत्याकांड की सुनवाई पहले जयपुर अदालत और उसके बाद जिला सत्र एवं न्यायाधीश की अदालत में हुई थी। मामला सीबीआइ के हाथों में जाने के बाद तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोपपत्र दाखिल किया था। लेकिन, सीबीआइ अदालत में यह साबित नहीं कर सकी। ऐसे में तीन पुलिसकर्मी दोषमुक्त हो गए।
राजा मान सिंह हत्याकांड में दोषी पाए गए तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी की उम्र अब 82 बरस की हो गई है। वहीं, तत्कालीन एसएचओ वीरेंद्र सिंह 78 साल के हैं। सुखराम की उम्र 72 है। मुल्जिम तो ठीक से चल भी नहीं सकते।
फैसला सुनाए जाते समय राज परिवार की ओर से विजय सिंह, गिरेंद्र कौर, कृष्णेंद्र कौर दीपा, दुष्यंत सिंह, गौरी सिंह, दीपराज सिंह कोर्ट में मौजूद थे। मथुरा जिला जज साधना रानी ठाकुर ने फैसला सुनाते हुए 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया। सजायाफ्ता मुजरिमों को 10-10 हजार रुपए जुर्माना भी देना होगा। इसके साथ ही अदालत ने तीनों मृतकों के परिजनों को 30-30 हजार रुपए और घायल चार लोगों को दो-दो हजार देने के निर्देश दिए हैं।