कर्नाटक के रमनागरा जिले में ईसा मसीह की मूर्ति बनाने को लेकर विवाद हो गया है। दरअसल यहां रहने वाले कुछ हिंदुओं का मानना है कि हैरोबेले नाम के ईसाई बहुल गांव में जिस पहाड़ी पर मूर्ति बनाने की योजना है वहां हिंदू देवता का निवास है। पिछले महीने ही इस प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ था। लेकिन विवादों में घिरने की वजह से इसका निर्माण रोक दिया गया। यहां सफेद ग्रेनाइट से 114 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई जानी है जो रियो की मूर्ति से ऊंचाई में थोड़ी कम है, हालांकि इसका आधार ‘क्रिस्ट द रेडमीमर’ से बड़ा रखने की योजना है।

लेकिन यहां रहने वाले कुछ हिंदुओं का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसका विरोध कर रहे हैं। प्रस्तावित मूर्ति निर्माण के विरोध में तीन दिन पहले आरएसएस के नेता प्रभाकर भट्ट ने कनकपुरा शहर में रैली भी निकाली थी। इस रैली में एक हजार लोगों ने हाथों में भगवा झंडा लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।

लेकिन यहीं के रहने वाले 60 साल के किसान चिक्कास्वामी मूर्ति निर्माण के विरोध से नाराज हैं। चिक्कास्वामी समेत कुछ अन्य किसानों का कहना है कि ‘कुछ बाहरी लोग यह चाहते हैं कि यहां ईसा मसीह की मूर्ति ना लगाई जाए…लेकिन हम हिंदू हैं और हम चाहते हैं कि यहां मूर्ति बने। उनके नेता मैंगलोर से आते हैं। वो सही तरीके से कन्नड़ भी नहीं बोल सकते हैं। वो यहां आकर भाषण देते हैं जिसे कोई भी समझ नहीं पाता है। हम उनकी क्यों सुने। अगली बार जब वो समस्या पैदा करेंगे तो हम हिंदू उनके खिलाफ रैली निकालेंगे…अगर वो 5,000 लोगों को लाएंगे तो अहम 55,000 लोगों को लाएंगे।’

हैरोबेले एक क्रिश्चन बहुल गांव है। यहां ज्यादातर हिंदू रहते हैं। बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में यहां Father Leonard Cinnami आए और उन्होंने एक चर्चा की स्थापना की थी। इसी गांव के रहने वाले Father Chinappa का कहना है कि यह विवाद पिछले साल क्रिसमस के अगले दिन से शुरू हुआ था। उस वक्त कनकपुर से कांग्रेस के विधायक रह चुके डी के शिवकुमार ने Harobele Kapala Betta Avibruddhi Trust को मूर्ति बनाने के लिए 10.8 लाख का चेक दिया था।

इधर कनकपुरा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जनरल सेक्रेटरी का कहना है कि संघ परिवार से जुड़े संगठनों ने कांग्रेस नेता पर मूर्ति के लिए स्पॉन्सर करने का आरोप लगाया है। Christian missionaries के जरिए वो बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा दे रहे हैं। आरएसएस से जुड़े संगठनों का यह भी आरोप है कि यह मूर्ति मुनिका पहाड़ पर स्थित शिव मंदिर पर बनाने की योजना है। इसकी वजह से वहां के हिंदुओं में काफी भय है। गांव में महज 600 क्रिश्चन परिवार रहते हैं…कैसे वहां अल्पसंख्यकों को हमारे पहाड़ों पर इतनी बड़ी मूर्ति बनाने की इजाजत दी जा सकती है।?

बता दें कि कर्नाटक की पिछली कांग्रेस सरकार ने बेंगलुरु से 65 किलोमीटर दूर कनकपुरा में ईसा मसीह की 114 फुट लंबी मूर्ति बनवाने के लिए 10 एकड़ ज़मीन देने का प्रस्ताव रखा था लेकिन अब राज्य में हिंदू जागरण वेदिके नाम की संस्था मौजूदा बीजेपी सरकार से यह मांग कर रही है कि वो इस प्रस्ताव को वापस ले।