कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेताओं के पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित से यहां मुलाकात को लेकर भारत और पाकिस्तान में आज फिर वाद-विवाद शुरू हो गया और भारत ने स्पष्ट किया कि किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई भूमिका नहीं है।
उधर सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और अन्य अलगाववादी नेताओं से बासित की भेंट और उन्हें पाकिस्तान राष्ट्रीय दिवस समारोह में यहां आमंत्रित करने के बारे उच्चायुक्त ने दावा किया कि भारत इस तरह की भेंट के खिलाफ नहीं है।
पाकिस्तान राष्ट्रीय दिवस समारोह के इतर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार आपत्ति कर रही है। मैं मीडिया के अपने मित्रों को सुझाव देना चाहूंगा कि वे गैर-मुद्दे में से कोई मुद्दा नहीं बनाएं।’’
भारत ने हालांकि कहा, ‘‘भारत सरकार खुद के बारे में बात रखना पसंद करती है।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘तथाकथित हुर्रियत के बारे में भारत की स्थिति को इतने सारे अवसरों पर दोहराया जा चुका है कि इसे लेकर किसी गलतफहमी की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह दोहराता हूं कि केवल दो पक्ष हैं और भारत-पाक मुद्दों के समाधान में किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है।’’
India on the role of the so called Hurriyat – No place for a third party in resolution of India-Pakistan issues. https://t.co/MM7N2hnWjD
— Syed Akbaruddin (@MEAIndia) March 23, 2015
पिछले साल पाकिस्तान के साथ तय विदेश सचिव स्तरीय वार्ता की पूर्व संध्या पर बासित की हुर्रियत नेताओं से भेंट करने के कारण भारत ने उसे रद्द कर दिया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सभी लंबित मुद्दों पर आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है शिमला समझौते और लाहौर घोषणा के तहत शांतिपूर्ण द्विपक्षीय बातचीत।’’
अब्दुल गनी भट, मौलाना अब्बास अंसारी, बिलाल गनी लोन, आगा सैयद हसन, मुस्सदिक आदिल और मुख्तार अहमद वाज के साथ मीरवाइज कल रात बासित के निवास पर वार्ता के लिए गए थे।
इससे एक पखवाड़ा पहले बासित दिल्ली स्थित हुर्रियत नेता गिलानी के निवास पर उनसे मिलने गए थे और इस्लामाबाद में भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर से अपनी मुलाकात और उनसे हुई चर्चा के संबंध में बताया था
पाकिस्तानी राजनयिक और कश्मीर अलगाववादी हुर्रियत नेता हालांकि पिछले 30 साल से नियमित रूप से मिलते रहे हैं, लेकिन भारत को यह बात नागवार गुजरती है, जिसका कहना है कि जम्मू कश्मीर सहित भारत-पाक मुद्दों का समाधान दोनों देशों के नेतृत्व के बीच द्विपक्षीय रूप से ही किया जाना है।