CJI BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा है कि भारत का संविधान सबसे ऊपर है और लोकतंत्र के तीनों अंग (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) इसके तहत काम करते हैं। इतना ही नहीं सीजेआई ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि संसद ही सबसे ऊपर है, लेकिन मेरी राय में संविधान सबसे ऊपर है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई गवई होमटाउन अमरावती में अपने अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। मूल ढांचे’ के सिद्धांत की नींव पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को बदल नहीं सकती।
संविधान सबसे ऊपर है – सीजेआई गवई
जस्टिस गवई ने कहा, ‘कुछ लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन उनकी राय में संविधान सर्वोपरि है।’ उन्होंने आगे कहा कि सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने से कोई जज स्वतंत्र नहीं हो जाता। उन्होंने कहा, ‘जज को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा कर्तव्य है और हम नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। हमारे पास सिर्फ शक्ति नहीं है, बल्कि हम पर एक कर्तव्य भी डाला गया है।’
कोई भी देश पूरी तरह लोकतांत्रिक होने का दावा नहीं कर सकता
बुलडोजर जस्टिस के फैसले का जिक्र- सीजेआई गवई
सीजेआई ने कहा कि जज को इस बात के बारे में नहीं सोचना चाहिए कि लोग उनके फैसले के बारे में क्या कहेंगे या क्या महसूस करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा। लोग जो कहेंगे, वह हमारी फैसला लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता।’ सीजेआई ने जोर देकर कहा कि उन्होंने हमेशा अपने फैसले और काम को बोलने दिया और हमेशा संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के साथ खड़े रहे। बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सबसे ऊपर है।
सीजेआई गवई ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि वह वकील बनें। उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता वकील बनना चाहते थे, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए, क्योंकि उस समय उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा होने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था।’ बुलडोजर न्याय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर CJI बीआर गवई