Conspiracy To Impose President Rule Delhi: देश की आम आदमी पार्टी इस वक्त मुसीबतों के दौर से गुजर रही है। क्योंकि उसके शीर्ष नेता दिल्ली शराब घोटाले में जेल की सलाखों के पीछ हैं। इनमें प्रमुख रूप से आप पार्टी के संजोयक अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं। इससे पहले सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह में जेल में थे। हालांकि, कोर्ट ने संजय सिंह को जमानत दे दी है। वहीं संजय सिंह को छोड़कर यह तीनों प्रमुख नेता सलाखों के पीछे हैं।
अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद बीजेपी की मांग है कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं आम आदमी पार्टी ने कहा कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे। इन्हीं सब आरोप-प्रत्यारोपों के बीच दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी मार्लेना ने शुक्रवार को बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाना गैरकानूनी होगा। जिसको लेकर बड़ी साजिश रची जा रही है।
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती केंद्र सरकार- आतिशी
आतिशी ने कहा कि दिल्ली और देश को लोगों को यह बताना चाहूंगी कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार और अरविंद केजरीवाल की सरकार के खिलाफ एक बहुत बड़ा राजनैतिक षडयंत्र प्लान किया जा रहा है। हमें विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि आने वाले कुछ दिनों में केंद्र की बीजेपी सरकार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने वाली है।
दिल्ली में नहीं हो रही IAS अफसरों की पोस्टिंग
दिल्ली की मंत्री ने कहा कि इसके कई संकेत पिछले दिनों से दिख रहे हैं। हम पिछले कई दिनों से देख रहे हैं कि दिल्ली में किसी भी अफसर की पोस्टिंग नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि जो आईएएस अफसर हैं उनकी पोस्टिंग एमएचए द्वारा कंट्रोल होती है,लेकिन पिछले कई महीनों से किसी भी आईएएस अफसर की पोस्टिंग दिल्ली में नहीं हुई है।
‘एलजी लिख रहे केंद्र सरकार को पत्र’
आतिशी ने कहा कि दूसरी बात यह है कि दिल्ली के अंदर कई विभाग खाली हैं। वहां भी कोई अफसर पोस्टेड नहीं हैं। उसके बाद भी वहां किसी भी अफसर को नहीं लगाया जा रहा है। आतिशी ने कहा कि तीसरी बात यह है कि एलजी साहब पिछले एक हफ्ते से एमएचए को बार-बार बिना किसी कारण को लेकर दिल्ली सरकार को लेकर पत्र लिख रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एलजी कहते हैं कि मैंने दिल्ली सरकार के मंत्री को मीटिंग में बुलाया वो नहीं आ रहे हैं।
दिल्ली सरकार की मंत्री ने कहा कि यह वही एलजी साहब हैं जो कोर्ट में खड़े होकर कहते हैं कि यह ट्रांसफर सब्जेक्ट है। इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। आतिशी ने कहा कि जब एलजी यह बात कहते हैं तो फिर वो एमएचए को पत्र क्यों लिख रहे हैं।
आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार के अफसरों ने कोड ऑफ कंडक्ट का बहाना बनाकर किसी भी मीटिंग में आना बंद कर दिया है। चाहे वो कितने भी जरूरी मुद्दे पर हो। आतिशी ने आगे कहा कि कैसे 20 साल पुराने केस को उठाकर अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव को बर्खास्त कर जाता है। उन्होंने कहा कि यह सारे लक्ष्ण दिखा रहे हैं कि एक बहुत बड़ी साजिश दिल्ली सरकार को गिराने की हो रही है और राष्ट्रपति शासन लगाने की हो रही है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा कारण है कि बिना किसी आरोप के अरविंद केजरीवाल को ईडी और केंद्र सरकार ने गिरफ्तार किया है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को यह भी पता है कि वो कितनी भी साजिश रच लें, लेकिन दिल्ली में केजरीवाल को हरा नहीं सकते।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि दिल्ली के लोग अरविंद केजरीवाल से प्यार करते हैं, दिल्ली के लोग AAP को पसंद करते हैं और दिल्ली के लोग भाजपा की हरसंभव कोशिश के बाद AAP को ही वोट देते हैं… ये(भाजपा) दिल्ली में चुनाव जीतने वाले नहीं है, इसलिए ये साजिश कर रहे हैं कि दिल्ली की चुनी हुई अरविंद केजरीवाल की सरकार को गिराया जाए।”
क्या है दिल्ली का शराब कथित घोटाला?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया। नई पॉलिसी के तहत, शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गईं। दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी। हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया।
कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था। इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया।
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था। मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था. आरोप लगाया गया कि नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कोविड का बहाना बनाकर मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी. एयरपोर्ट जोन के लाइसेंसधारियों को भी 30 करोड़ लौटा दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी।
आइए ऐसे में दिल्ली सभी सातों लोकसभा सीट पर एक नजर डालते हैं। क्योंकि 10 साल बाद यहां सीधी टक्कर देखने को मिल रही है।
10 साल बाद सीधी टक्कर, दिल्ली की सातों सीटों पर कैसी है इस बार लड़ाई?
2014 और 2019 में लोकसभा सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष हुआ था और दोनों ही बार बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की थी। 2019 में तो कई सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने 50 फीसदी से अधिक वोट पाए थे। कुछ सीटों पर आप और कुछ पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। लेकिन, इस बार आप और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ऐसे में अगर कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर नहीं हुआ तो चार सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को आप और तीन पर कांग्रेस उम्मीदवार टक्कर देंगे।
ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट
10 साल से ये सीट बीजेपी के पास रही है, लेकिन दोनों ही बार पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को बदल दिया। 2014 में महेश गिरी और 2019 में यहां से बीजेपी ने गौतम गंभीर को उतारा और दोनों ने ही जीत हासिल की थी। इस बार बीजेपी ने हर्ष मल्होत्रा को मैदान में उतारा है, जबकि आप ने अपने विधायक कुलदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
साउथ दिल्ली लोकसभा सीट
इस सीट पर भी भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को टिकट दिया है। जबकि आप ने अपने विधायक सही राम को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर 2014 और 2019 में बीजेपी के रमेश बिधूड़ी ने चुनाव में जीत हासिल की थी।
नई दिल्ली सीट लोकसभा सीट
किसी जमाने में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था। 2004 और 2009 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, लेकिन अब पिछले दो चुनाव से बीजेपी की मीनाक्षी लेखी जीत रही थीं। बीजेपी ने उनकी जगह इस बार अपनी दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। बांसुरी स्वराज का मुकाबला आम आदमी पार्टी के मौजूदा सीनियर विधायक सोमनाथ भारती से होगा।
वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट
इस सीट पर भी भाजपा ने अपने उम्मीदवार को बदला है। प्रवेश वर्मा की जगह इस बार पार्टी ने नगर निगम में कई पदों पर कार्य कर चुकीं कमलजीत सहरावत को टिकट दिया है। उनका मुकाबला आप के महाबल मिश्रा से होगा। ये मुकाबला इसलिए दिलचस्प होने की उम्मीद है, क्योंकि मिश्रा यहां से कांग्रेस के सांसद रहे हैं। हालांकि अब वे आप के उम्मीदवार हैं।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट
यह दिल्ली की ऐसी सीट है, जहां भाजपा ने अपना उम्मीदवार नहीं बदला। मौजूदा सांसद मनोज तिवारी पर फिर से पार्टी ने भरोसा जताया है। आप और कांग्रेस गठबंधन में ये सीट कांग्रेस को मिली है। लेकिन अभी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया। वैसे यहां से कांग्रेस की ओर से अनिल चौधरी, संदीप दीक्षित, भीष्म शर्मा समेत कई नामों पर विचार हो रहा है। इस सीट पर प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली का भी नाम था, लेकिन उन्होंने खुद ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।
चांदनी चौक लोकसभा सीट
पुरानी दिल्ली के मुस्लिम और वैश्य बहुल समुदाय वाली इस सीट पर बीजेपी ने अपने व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया है, लेकिन कांग्रेस ने इस सीट पर उम्मीदवार तय नहीं किया है। वैसे इस सीट पर जयप्रकाश अग्रवाल के अलावा अलका लांबा, हरिशंकर गुप्ता समेत कई चेहरों पर कांग्रेस विचार कर रही है।
नॉर्थ वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट
दिल्ली की एकमात्र सुरक्षित लोकसभा सीट पर बीजेपी ने हंसराज हंस का टिकट काटकर नगर निगम में कई बड़े पद संभाल चुके योगेंद्र चंदोलिया को टिकट दिया है। यहां भी अब तक कांग्रेस ने उम्मीदवार फाइनल नहीं किया। लेकिन यहां से बीजेपी से कांग्रेस में आए पूर्व सांसद उदित राज और राजकुमार चौहान भी दौड़ में हैं।