उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग होगी। इंडिया गठबंधन और एनडीए ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने महाराष्ट्र के गवर्नर सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया है तो वहीं इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद वोटिंग करते हैं। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले से आते हैं। हालांकि जब उनका जन्म 1946 में हुआ था तब रंगारेड्डी आंध्र प्रदेश का हिस्सा था।
YSRCP ने एनडीए को समर्थन देने का किया ऐलान
अब सुदर्शन तेलंगाना के रहने वाले हैं, क्योंकि 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ था और तेलंगाना एक नया राज्य बना था। हालांकि अब आंध्र प्रदेश चर्चा में आ चुका है। ऐसे में ये जानना जरूरी हो गया है कि सुदर्शन को आंध्र से कितना वोट मिल सकता है। आंध्र में मुख्य विपक्षी पार्टी जगनमोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस है, जिसने एनडीए को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में अब सुदर्शन के लिए ये मुश्किल खड़ी हो गई कि आंध्र से उन्हें कैसे वोट मिले।
आंध्र प्रदेश से कुल लोकसभा और राज्यसभा के मिलाकर 36 सांसद आते हैं। लोकसभा में आंध्र प्रदेश से 25 सांसद चुनकर आते हैं जबकि 11 राज्यसभा में आते हैं। वर्तमान में आंध्र प्रदेश से 21 सांसद एनडीए के हैं। यहां पर एनडीए का हिस्सा टीडीपी, बीजेपी और जनसेना पार्टी है। टीडीपी के 16 लोकसभा सांसद हैं, बीजेपी के 3 जबकि जनसेना पार्टी के 2 सांसद हैं। वहीं जगनमोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के पास आंध्र प्रदेश में 4 लोकसभा सांसद हैं।
आंध्र से सुदर्शन को कितना वोट मिल सकता?
वहीं अगर हम राज्यसभा सांसदों का जिक्र करें तो आंध्र में इनकी संख्या 11 है। वाईएसआर कांग्रेस के पास 7 सांसद हैं जबकि टीडीपी के पास 3 और बीजेपी के पास एक राज्यसभा सांसद हैं। ऐसे में अगर सभी सांसद पार्टी व्हिप का पालन करते हैं और अपने प्रमुख नेता के निर्देशानुसार वोटिंग करते हैं तो आंध्र प्रदेश से सभी 36 सांसदों के वोट एनडीए के उम्मीदवार राधाकृष्णन को मिलेंगे। इस स्थिति में सुदर्शन को आंध्र से एक भी वोट नहीं मिलेगा। सुदर्शन को आंध्र से तभी वोट मिल सकता है जब कोई सांसद क्रॉस वोटिंग करे।
बी सुदर्शन ने हैदराबाद में ही पढ़ाई की और 1971 में उस्मानिया यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह 1971 में ही एडवोकेट के तौर नामांकित हुए। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में रिट और सिविल मामलों में प्रैक्टिस की है। सुदर्शन ने 1988-90 के दौरान हाईकोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर काम किया। उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी के लिए कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के रूप में काम किया। सुदर्शन को 2 मई 1995 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें 2005 में गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वह 2007 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 2011 में रिटायर हुए।