2019 लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के एक साल बाद भी कांग्रेस लगातार कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। मध्य प्रदेश में सत्ता खोने के बाद राजस्थान में भी सियासी उठापटक जारी है। वहीं अब पार्टी के भीतर दिग्गज और युवा नेताओं के बीच भी तनाव देखने को मिल रहा है। ऐसा ही कुछ गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई राज्यसभा सांसदों की बैठक में हुआ।

सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने हार पर “आत्मनिरीक्षण” करने की बात कही। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि लोगों का कांग्रेस से मोहभंग क्यों हुआ यह जानने के लिए पार्टी को लोगों तक जाना चाहिए। वहीं नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद राजीव सातव ने कहा कि आत्मनिरीक्षण खुद से शुरू होना चाहिए। सातव ने कहा कि हर तरह से आत्मनिरीक्षण करें लेकिन हम 44 पर कैसे आ गए इस बारे में भी गौर किया जाना चाहिए।

सातव ने आगे कहा “हम 2009 में 200 से अधिक थे। आप अब यह आत्मनिरीक्षण करने की बात कह रहे हैं। आप सभी तब मंत्री थे। सच कहूं, तो यह भी देखा जाना चाहिए कि आप कहां फेल हुए हैं। आपको UPA II की अवधि से आत्मनिरीक्षण करना होगा।”

युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष 46 वर्षीय सातव गुजरात के एआईसीसी प्रभारी और सीडब्ल्यूसी में स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं। इस बैठक की अध्यक्षता सोनिया गांधी कर रहीं थी, इस मीटिंग में कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेता मौजूद थे। मीटिंग में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अहमद पटेल और यूपीए के पूर्व मंत्री चिदंबरम, ए के एंटनी, गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के अलावा सिब्बल भी थे। कुछ नेताओं ने सातव की इस टिप्पणी को उनके खिलाफ हमला बताया है।

बैठक में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में वापस लाने की मांग भी की गई। सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने यह मांग की। दिग्विजय की इस बात का समर्थन सतव, असम कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा, एआईसीसी महासचिव शक्तिसिंह गोहिल और नीरज डांगी से किया।