Rahul Gandhi in Manipur: लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सोमवार को मणिुपर के दौरे पर हैं। वह सुबह ही मणिपुर के लिए रवाना हो गए थे। मणिपुर पहुंचने से पहले वे असम के सिलचर (Rahul Gandhi in Assam) भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों (Assam Flood) से मुलाकात की। राहुल के हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर पहुंचने से पहले एक बार फिर फायरिंग की खबरें आईं, जिसने एक बार फिर टेंशन पैदा कर दी है।

राहुल गांधी के संभावित आगमन से कुछ घंटे पहले हिंसा प्रभावित जिले जिरीबाम में एक बार फिर फायरिंग हुई थी। राहुल के मणिपुर दौरे की शुरुआत भी जिरीबाम से होगी। जिरीबाम असम के कछार जिले की सीमा से सटा एक छोटा सा जिला है और यह सबसे नया इलाका है, जहां पिछले महीने राज्य में फैली हिंसा फैली थी।

पुलिस ने दी गिरफ्तारी की जानकारी

राहुल गांधी जिरीबाम के बाद राज्य के चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों में भी जाएंगे। इस मामले में स्थानीय पुलिस ने जानकारी दी है कि सोमवार को तड़के सुबह तीन बजे के करीब बंदूकधारियों ने पड़ोसी पहाड़ी जिले तामेंगलोंग के फैतोल से गुलरथोल की ओर फायरिंग की थी। जिरीबाम के पुलिस अधिकारी प्रदीप सिंह ने बताया है कि सुबह 10 बजे तक तामेंगलोंग पुलिस ने गोलीबारी के मामले में कुकी समुदाय के दो लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है और उनके पास से बड़ी संख्या में हथियार भी बरामद हुए हैं।

पुलिस ने बताया है कि इस गोलबारी में कोई हताहत नहीं हुआ था। हालांकि एक बख्तरबंद कार इसकी चपेट में आ गई थी। पुलिस अधिकारी ने बताया है कि हमले का मुकाबला करने में पुलिस, सीआरपीएफ और असम राइफल्स के बीच अच्छा समन्वय है और हमलावरों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा रहा है।

जिले से विस्थापित हुए 2000 से ज्यादा लोग

गौरतलब है कि जिरीबाम में उस समय तनाव उत्पन्न हो गया था, जब 6 जून को मैतेई निवासी सोइबाम सरथकुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद जिरीबाम शहर और उसके आसपास के कुकी निवासियों के घरों में आग लगा दी गई। बता दें कि यहां मैतेई बहुसंख्यक हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि जिले से 1,000 से अधिक कुकी लोग विस्थापित होकर कछार चले गए।

दूसरी ओर प्रतिक्रिया के तौर पर जिले के बोरोबेकरा डिवीजन में रहने वाले मैतेई परिवारों के घरों को जला दिया गया, यह कुकी बाहुल्य आबादी वाला इलाका माना जाता है। इसके चलते यहां से 900 लोग विस्थापित हो गए और फिलहाल राहत शिविरों पर रहने को मजबूर हैं।