कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। बंगाल में मनरेगा श्रमिकों की पीड़ा पर राहुल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर धन जारी करने का आग्रह किया है। पत्र में लिखा है कि मैं आपको पश्चिम बंगाल में मनरेगा श्रमिकों की दुर्दशा और न्याय के लिए उनकी लड़ाई के बारे में लिख रहा हूं।
राहुल गांधी ने पीएम से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि लंबित मजदूरी के भुगतान के लिए केंद्रीय धनराशि जारी की जाए। पत्र में लिखा है, “मैं आपको पश्चिम बंगाल में MGREGS श्रमिकों की दुर्दशा और न्याय के लिए उनकी निरंतर लड़ाई के बारे में लिख रहा हूं। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के हिस्से के रूप में पश्चिम बंगाल की मेरी हालिया यात्रा के दौरान, मनरेगा श्रमिकों का एक प्रतिनिधिमंडल पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति ने मुझे उनके सामने आने वाली समस्याओं से अवगत कराया।”
मनरेगा श्रमिकों के लिए की ये मांग
लेटर में आगे लिखा है, “अभ्यावेदन की एक प्रति इसके साथ संलग्न है। मार्च 2022 के बाद से पश्चिम बंगाल को केंद्रीय धनराशि बंद होने के कारण हमारे लाखों भाइयों और बहनों को MGREGS के तहत काम और मजदूरी से वंचित कर दिया गया है।”
कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत जब हाल ही में वह पश्चिम बंगाल गए थे तो पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति नामक संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मनरेगा श्रमिकों की समस्याओं के बारे में उन्हें अवगत कराया था। राहुल गांधी ने दावा किया कि मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को केंद्रीय धन की रोक के कारण हमारे लाखों भाइयों और बहनों को मनरेगा के तहत काम और मजदूरी से वंचित कर दिया गया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने 10 फरवरी 2024 को लिखे पत्र में कहा, “मुझे बताया गया कि धन की कमी के कारण 2021 में बहुत सारे श्रमिकों को उनके काम के बदले में भुगतान नहीं किया गया है।” राहुल गांधी ने दावा किया कि 2021-22 में मनरेगा के तहत काम का लाभ उठाने वाले परिवारों की संख्या 75 लाख थी जो 2023-24 में घटकर 8000 हो गई।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं केंद्र सरकार से लंबित मजदूरी का भुगतान करने के लिए धन जारी करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं कि मनरेगा के तहत काम की मांग पूरी की जाए। मेरा मानना है कि सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय को बरकरार रखने के लिए अपने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठना हमारा कर्तव्य है।’’
