कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कॉरपोरेट स्टाइल में काम करना शुरू कर दिया है। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए राहुल गांधी ने डाटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट के नए हेड की नियुक्ति की है। पार्टी अध्यक्ष ने इनवेस्टमेंट बैंकर और टेक्नोक्रेट प्रवीण चक्रवर्ती को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। पिछले साल विश्वजीत सिंह की मौत के बाद से ही यह पद रिक्त था। प्रवीण इनवेस्टमेंट बैंक का सीईओ रहने के साथ ही कॉरपोरेट एडवाइजर के तौर पर भी सक्रिय रहे हैं। वह ‘इंडियास्पेंड’ के संस्थापक ट्रस्टी भी हैं। ऐसे में डाटा एनालिसिस के क्षेत्र में उन्हें व्यापक अनुभव हासिल है। राहुल ने ट्वीट किया, ‘मैं प्रवीण चक्रवर्ती के नेतृत्व में डाटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट की घोषणा करते हुए बहुत रोमांचित महसूस कर रहा हूं। बिग डाटा का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा।’ राहुल गांधी ने पिछले कुछ दिनों में मीडिया सेल समेत पार्टी के कई विभागों में बदलाव किए हैं। इसका उद्देश्य पार्टी के प्रचार तंत्र को और मजबूत करना है। साल के शुरुआत में राहुल के कमान संभालने के बाद पार्टी की रिसर्च टीम और सोशल मीडिया यूनिट को और दुरुस्त करने का फैसला लिया गया था। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि राहुल इन बदलावों के जरिये कांग्रेस पार्टी के अंदर एक मजबूत ‘थिंक टैंक’ बनाना चाहते हैं, ताकि आंकड़ों के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर न रहना पड़े।
Excited to announce a “Data Analytics” dept under the leadership of Praveen Chakravarty to effectively use “Big Data”. pic.twitter.com/hvOBVZILlk
— Office of RG (@OfficeOfRG) February 5, 2018
कांग्रेस में डाटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट को कंप्यूटर सेल भी कहा जाता है। रिसर्च टीम को मजबूती प्रदान करने में इस विभाग की भूमिका बेहद अहम होती है। कांग्रेस नेताओं ने बताया था कि कांग्रेस इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसका लक्ष्य भाजपा को टक्कर देने के साथ ही बेहतर आंकड़ों के साथ मीडिया में पार्टी की छवि को बेहतर करना है। कांग्रेस में जुलाई, 2017 में रिसर्च डिपार्टमेंट का विस्तार किया गया था। राज्यसभा सदस्य राजीव गौड़ा को रिसर्च टीम का प्रमुख बनाया गया था और उन्हें 15 लोगों की टीम दी गई थी। इस टीम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य गुजरात पहली बड़ी चुनौती थी। राहुल ने इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भाजपा को चुनौती देने के लिए विशेष टीम गठित की थी। हाल में संपन्न हुए दो राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका असर भी दिखा था।
अमित शाह की रणनीति को चुनौती देने की कोशिश: अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में कई बदलाव किए गए थे। उन्होंने कॉरपोरेट स्टाइल में करना शुरू किया। इसके तहत रिसर्च टीम के साथ सोशल मीडिया यूनिट को भी एक्टिव किया गया, ताकि सरकार और पार्टी की नीतियों को संगठित तरीके से जनता के बीच प्रस्तुत किया जा सके। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान अमित शाह ने बूथ लेवल तक मैनेजर तैनात कर अपनी कार्यशैली का परिचय भी दिया था। भाजपा नेताओं की मानें तो एक चुनाव खत्म होते ही पार्टी अध्यक्ष दूसरे की तैयारी में जुट जाते हैं। इसके लिए मीडिया और सोशल मीडिया में बिना समय गंवाए अभियान की शुरुआत भी कर दी जाती है। इसके साथ ही सभी की जिम्मेदारियां भी तय कर दी जाती हैं। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस में इसी मॉडल को लाने की कोशिश शुरू कर दी गई है।