कांग्रेस की ओबीसी विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हरियाणा की सियासत के बड़े नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। अजय यादव ने गुरुवार को ट्वीट कर बताया कि उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया है और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी है। यादव ने कहा है कि यह फैसला उनके लिए काफी भारी है क्योंकि वह और उनका परिवार पिछले 70 सालों से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं।

बताना होगा कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली है। कैप्टन अजय यादव अहीरवाल की रेवाड़ी सीट से छह बार विधायक रह चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में उनके बेटे चिरंजीव राव को हार मिली थी।

अजय यादव ने विधानसभा चुनाव में हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधा था। यादव ने ट्वीट में कहा है कि उनके पिता स्वर्गीय राव अभय सिंह 1952 में विधायक बने थे और उसके बाद उन्होंने इस परंपरा को जारी रखा लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद के बाद उनके साथ खराब व्यवहार किया गया और इस वजह से मेरा पार्टी हाईकमान से मोहभंग हो गया है।

लोकसभा चुनाव में नहीं दिया था टिकट

कैप्टन अजय यादव 2024 के लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था जबकि यादव ने टिकट के लिए काफी जोर लगाया था। पार्टी ने गुरुग्राम सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सिफारिश पर अभिनेता से राजनेता बने राज बब्बर को टिकट दिया था। राज बब्बर को चुनाव में हार मिली थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में कैप्टन अजय यादव को गुरुग्राम लोकसभा सीट पर राव इंद्रजीत सिंह ने लगभग पौने चार लाख वोटों के अंतर से हरा दिया था। इस वजह से पार्टी नेतृत्व ने उन्हें इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतारा था।

कौन हैं कैप्टन अजय यादव?

अजय यादव रेवाड़ी की सीट से छह बार लगातार विधायक रहने के साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा और भजनलाल की सरकार में भी मंत्री रहे हैं। कैप्टन अजय यादव ने 1989 में अपना पहला विधानसभा चुनाव रेवाड़ी सीट से लड़ा था। इसके बाद वह लगातार 2014 तक यहां से विधायक रहे। 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें रणधीर सिंह कापड़ीवास ने हराया था। 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने बेटे चिरंजीव राव को रेवाड़ी से टिकट दिलाया था। तब चिरंजीव राव ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार चिरंजीव राव को हर का मुंह देखना पड़ा। चिरंजीव राव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव के दामाद हैं।

अध्यक्ष पद को बताया था झुनझुना

अजय यादव का लंबे वक्त से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ 36 का आंकड़ा चल रहा था। विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी यादव काफी मुखर रहे थे। यादव ने कहा था, “ओबीसी विंग का राष्ट्रीय अध्यक्ष का उनका पद एक झुनझुना (खिलौने) से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है।” यादव ने पूछा था कि दक्षिणी हरियाणा, जहां से वह आते हैं और इस इलाके में यादव समुदाय के लोग ज्यादा हैं, यहां से कांग्रेस कार्य समिति, कांग्रेस चुनाव समिति या पीसीसी में कोई यादव क्यों नहीं है?

उन्होंने कहा था कि इसी वजह से गुड़गांव, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और फरीदाबाद के जिले में कांग्रेस का सफाया हो गया। यादव ने कहा था कि अगर आप पार्टी के भीतर ओबीसी को मुख्यधारा में नहीं लाते हैं तो इसे गलत संदेश जाता है।

कैप्टन अजय यादव ने बेहद नाराजगी के साथ कहा था कि पार्टी के पोस्टरों से उनकी तस्वीर गायब है। अहीरवाल के इस बुजुर्ग और अनुभवी नेता ने सवाल उठाया था कि आपने मुझे किस तरह का ओबीसी विंग का अध्यक्ष बना दिया है?