Congress Headquarter 9A Kotla Road: कांग्रेस ने अपने नए दफ्तर से कामकाज शुरू कर दिया है। 15 जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में इस आलीशान दफ्तर का उद्घाटन किया गया। इस दफ्तर का नाम इंदिरा भवन रखा गया है।
सबसे अहम बात इस दफ्तर को लेकर यह है कि पार्टी ने इसमें उन नेताओं को भी जगह दी है, जो लंबे वक्त तक इसके साथ थे, भले ही आज वे पार्टी पर तीखे और जोरदार हमले कर रहे हैं। पार्टी का यह नया दफ्तर 9ए, कोटला रोड पर है।
200-225 करोड़ की लागत आने का अनुमान
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने इंदिरा भवन में शनिवार को हुई पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को बताया कि इस शानदार इमारत के निर्माण पर 200-225 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। इस दफ्तर को लार्सन एंड टूब्रो (एल&टी) ने बनाया है।
इससे पहले पार्टी पिछले 47 साल से 24, अकबर रोड से अपना राष्ट्रीय दफ्तर चला रही थी।
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इस दफ्तर का डिजाइन हफीज कांट्रैक्टर द्वारा तैयार किया गया है और यह पार्टी के 139 साल पुराने इतिहास के बारे में बताता है। इस दफ्तर की दीवारों पर आजादी की लड़ाई से लेकर कांग्रेस के शासन की उपलब्धियों को तस्वीरों के जरिए दिखाया गया है।
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं को मिली जगह
नए कांग्रेस दफ्तर की दीवारों पर ऐसे कई नेता जिन्होंने पार्टी छोड़ दी, जिनमें से कुछ भाजपा में शामिल हो गए और उन्होंने कांग्रेस पर तीखे हमले किए, उन्हें भी नए कार्यालय की दीवारों पर जगह मिली है। इन नेताओं में वी.पी. सिंह से लेकर गुलाम नबी आजाद तक और सुरेश पचौरी से लेकर रीता बहुगुणा जोशी शामिल हैं।
ग्राउंड फ्लोर पर एक तस्वीर आपका ध्यान खींचती है। इसमें सोनिया गांधी एक मार्च का नेतृत्व कर रही हैं और उनके साथ सुरेश पचौरी, रीता बहुगुणा जोशी और पी. सुधाकर रेड्डी हैं, जो अब भाजपा के साथ हैं। इस तस्वीर में अशोक तंवर भी हैं, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे लेकिन पिछले साल पार्टी में वापस आ गए।
सोनिया के साथ गुलाम नबी आजाद
पांच मंजिल वाली इस इमारत की चौथी मंजिल पर 2014-2023 तक पार्टी का इतिहास चित्रों के जरिये दिखाया गया है। दीवार पर 2019 की एक तस्वीर लगी हुई है जिसमें गुलाम नबी आजाद सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। यह तस्वीर सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान राजघाट पर ली गई थी। आजाद अब कांग्रेस के साथ नहीं हैं। पार्टी छोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर हमला बोला था।
सोनिया और सीताराम केसरी की तस्वीर
चौथी मंजिल की दीवारों पर लगी एक और दिलचस्प तस्वीर सोनिया गांधी और तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सीताराम केसरी की है। यह तस्वीर जनवरी, 1998 में रोहतक में एक चुनावी रैली के दौरान ली गई थी। इसके कुछ ही महीने बाद सीताराम केसरी को कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया और सोनिया गांधी ने यह पद संभाला था।
पार्टी छोड़ने वाले और पार्टी की आलोचना करने वाले नेताओं को कांग्रेस दफ्तर की दीवारों पर जगह क्यों दी गई, इस बारे में पूछे जाने पर पार्टी नेता मनीष चतरथ ने बताया कि कांग्रेस की सोच इतनी संकीर्ण नहीं है कि जो कोई पार्टी छोड़कर गया है और हमारे खिलाफ हो गया है, उसका पार्टी के साथ इतिहास मिटा दिया जाए।
पटेल से लेकर बोस…
पहली मंजिल की एक दीवार पर संविधान निर्माता बी.आर. अंबेडकर के इंस्पिरेशन कोट वाली तस्वीर लगी हुई है जबकि पांचों मंजिलों पर भारत की आजादी के संघर्ष और इसमें कांग्रेस के नेताओं के योगदान के बारे में बताने वाली कई पुरानी तस्वीरें भी लगी हुई हैं। इनमें सरदार वल्लभभाई पटेल से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक और रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर खान अब्दुल गफ्फार खान तक के योगदान के बारे में बताया गया है।
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कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों के बारे में बताया
दफ्तर की दीवारों पर कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें जवाहरलाल नेहरू द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए उठाए गए कदम, लाल बहादुर शास्त्री द्वारा ‘किसान और जवान’ का समर्थन, इंदिरा गांधी द्वारा बैकों के राष्ट्रीयकरण का कदम और 1971 में पाकिस्तान की हार, राजीव गांधी द्वारा शांति समझौते और आईटी क्रांति, पीवी नरसिम्हा राव का अर्थव्यवस्था के लिए दरवाजे खोलना और मनमोहन सिंह सरकार की कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं।
अजय माकन ने बताया कि कुल 2,100 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इंदिरा भवन में 276 सीटों का ऑडिटोरियम, कई मीटिंग रूम, कांग्रेस के हर संगठन और प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि दफ्तर में 134 पेड़, 8,675 पौधे, 264 आर्टवर्क और पेंटिंग हैं। कैफेटेरिया में नंद लाल बोस की पेंटिंग भी हैं, जो 1938 के हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन के लिए महात्मा गांधी के अनुरोध पर बनाई गई थीं।
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