सत्ता खोने के छह महीने बाद कांग्रेस पंडित जवाहर लाल नेहरू की 125वीं जयंती का इस्तेमाल सभी गैर भाजपा और गैर राजग दलों को धर्मनिरपेक्षता की छतरी तले एकजुट करने की कोशिश करती नजर आ रही है। देश के पहले प्रधानमंत्री की विरासत और विश्व के प्रति उनके नजरिए को रेखांकित करने के लिए सोमवार से यहां दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है। इसमें कई अंतरराष्ट्रीय नेता और देश-दुनिया के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।

इस सम्मेलन की एक बड़ी विशेषता यह है कि इसमें भाजपा विरोधी प्रमुख नेताओं को आमंत्रित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा या उसके सहयोगी दलों के किसी नेता को आमंत्रित नहीं किया गया है। जिन दलों के नेताओं को बुलाया गया है, उनमें सभी वाम दल, जद (एकी), राजद, जद (एस), समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और अन्य शामिल हैं, जो नेहरू के विचारों के भारत में भरोसा रखते हैं। अब भाजपा आरोप लगा रही है कि प्रधानमंत्री को आमंत्रित नहीं करने के फैसले से कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता झलकती है। यह राष्ट्र का अपमान है।

सोनिया गांधी ने पिछले हफ्ते राकांपा प्रमुख शरद पवार को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया था। लेकिन महाराष्ट्र में विश्वासमत के दौरान भाजपा को राकांपा की ओर से दिए गए समर्थन के बाद कांग्रेस अब असमंजस की स्थिति में है। पवार अपनी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अलीबाग में हो रहे दो दिवसीय सम्मेलन का हवाला देकर नेहरू की जयंती से संबंधित कार्यक्रम में शामिल होने में पहले ही असमर्थता जता चुके हैं।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस प्रमुख ने ममता और नीतीश कुमार को आयोजन में आमंत्रित करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर लिखा था। कांग्रेस पिछले कुछ दिन से मोदी पर तीखे हमले कर रही है। उन पर आरोप लगा रही है कि वे नेहरू के धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी प्रधानमंत्री पर यह आरोप भी लगाती रही है कि वे महात्मा गांधी और सरदार पटेल की विरासत हड़पने की कोशिश में हैं।

नई दिल्ली में आयोजित होने वाले कांग्रेस के इस सम्मेलन में ‘समावेशी लोकतंत्र और जन आधिकारिता’ और ‘21वीं सदी के लिए नेहरू का विश्व दृष्टिकोण और लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था’ विषय पर दो सत्र होंगे। सम्मेलन एक स्मारक घोषणा के साथ संपन्न होगा। इसमें विमर्श का सार पेश किया जाएगा, जो वैश्विक महत्व का संदेश देगा। इस आयोजन में अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, घाना के पूर्व राष्ट्रपति जॉन कूफुर, नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति जनरल ओबसांजो, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल, भूटान की राजमाता दोरजी वांगमो वांगचुक, पाकिस्तान से अस्मा जहांगीर, दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता सेनानी अहमद कथराडा और विश्व के 11 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडल शामिल होंगे। ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने आयोजन में शामिल होने की हामी भर दी है। सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों की संख्या 80 से ऊपर जा सकती है।

लोकतांत्रिक समाजवाद की चाहत रखने वाले वैश्विक राजनीतिक दलों के मंच सोशलिस्ट इंटरनेशनल भी अपना प्रतिनिधिमंडल भेजेगा। रूस, चीन और वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टियों, बांग्लोदश की आवामी लीग, नेपाली कांग्रेस और मलेशिया की यूएमएनओ ने अपनी शिरकत की पुष्टि की है। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए कांग्रेस के नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के नेता पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी होंगे। इसके अन्य सदस्यों में जयराम रमेश, एम वीरप्पा मोइली, अंबिका सोनी, राजीव साटव, अशोक तंवर और सुष्मिता देव शामिल हैं।