इराक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकियों के हाथों मारे गए भारतीयों को मुआवजा देने का मुद्दा गरमाने लगा है। पंजाब के कांग्रेसी सांसदों ने इसको लेकर मंगलवार (3 अप्रैल) को संसद में विरोध-प्रदर्शन किया। कांग्रेस के तीन सांसद हाथ में पम्पलेट लिए हुए संसद भवन की छत पर चढ़ गए थे। इसमें ‘मोदी सरकार भी इराक पीड़ितों की मदद करे’ और ‘इराक पीड़ितों पर मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागी’ जैसे स्लोगन लिखे हुए थे। दरअसल, कांग्रेसी सदस्य इराक के मोसुल में मारे गए भारतीयों के परिजनों के लिए केंद्र से वित्तीय मदद देने की मांग कर रहे थे। संसद भवन की छत पर प्रदर्शन करते-करते ये नेता पोर्टिको तक पहुंच गए थे। विदेश राज्यमंत्री वीके. सिंह 38 भारतीयों के शवों के साथ सोमवार (2 अप्रैल) को विशेष विमान से सीधे अमृतसर पहुंचे थे। विमान ने इराक की राजधानी बगदाद से उड़ान भरी थी। बता दें कि 38 मृतकों में 27 पंजाब राज्य के रहने वाले थे। ये लोग एक प्रोजेक्ट पर काम करने के सिलसिले में मोसुल गए थे, जहां आईएस आतंकियों ने इन्हें अगवा कर लिया था।
#UPDATE visuals: Punjab Congress MPs protest in Parliament demanding financial help for families of those who were killed by ISIS in Iraq’s Mosul. pic.twitter.com/vrPRGHm2Ev
— ANI (@ANI) April 3, 2018
Punjab Congress MPs protest in Parliament demanding financial help for families of those who were killed by ISIS in Iraq’s Mosul. pic.twitter.com/LqOfL1f48R
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मोसुल में मारे गए भारतीयों के परिजनों ने मुआवजा देने की मांग की थी। वीके. सिंह ने आर्थिक मदद की मांग पर अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा था कि उनकी जेब में कोई पिटारा नहीं रखा है और यह बिस्कुट बांटने वाला काम नहीं है। वहीं, पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने मोसुल में मारे गए पंजाबियों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये नकद और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की थी। साथ ही प्रभावित परिवारों को दिए जा रहे 20,000 हजार रुपये के पेंशन को भी जारी रखने की घोषणा की थी। बता दें कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में पिछले महीने मोसुल में अगवा 38 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि की थी। इस पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। विपक्षी दलों ने सरकार पर जानकारी छुपाने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए थे। सुषमा स्वराज ने बताया था कि मोसुल के सुदूर पहाड़ी इलाकों में शवों को दफनाने के कारण पता लगाने में विलंब हुआ था। उच्च गुणवत्ता वाले रडार की मदद से कब्र का पता लगाया गया था। डीएनए जांच से इनकी पहचान सुनिश्चित की गई थी।