कांग्रेस के हिन्दूवाद वाले मुद्दे पर अब उनके अपने ही सांसद टाइमिंग को लेकर सवाल उठा रहे हैं। पंजाब से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि वो कंफ्यूज हो रहे हैं। उन्होंने ये बातें ट्वीट कर कही है।
मनीष तिवारी ने हिन्दुइज्म बनाम हिन्दुत्व में कुछ लोग कांग्रेस में बहस कर रहे हैं। इसमें वो एक फंडामेंटल प्वाइंट को मिस कर रहे हैं। उन्होंने कहा- अगर मुझे लगता है कि मेरी धार्मिक पहचान मेरी राजनीति का आधार होनी चाहिए तो मुझे एक बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक राजनीतिक दल में होना चाहिए। मैं कांग्रेस में हूं। क्योंकि मैं नेहरूवादी में विश्वास करता हूं”।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- “मैं कांग्रेस में हिंदुत्व की इस बहस से स्पष्ट रूप से भ्रमित हूं। अगर मैं अपनी राजनीति को हिंदू धर्म या हिंदुत्व पर आधारित करना चाहता हूं तो मुझे हिंदू महासभा में होना चाहिए। अगर मैं इसे इस्लामवाद पर आधारित करना चाहता हूं तो मुझे जमात-ए-इस्लामी में होना चाहिए। मुझे कांग्रेस में क्यों होना चाहिए”?
इस मुद्दे को लेकर तिवारी ने कई ट्वीट किए हैं। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि धर्म एक निजी मामला है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने निजी जीवन में अपने धर्म को मानने और प्रचार करने का अधिकार है। उन्होंने कहा- मैं एक हिंदू हूं, मैं अपने भगवान की पूजा करता हूं लेकिन यह मेरी राजनीति नहीं है”।
अपने ट्वीट के इसी क्रम में उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी लोकलुभावनवाद और उदारवाद के बीच वैश्विक संघर्ष में प्रगतिशील दल कभी भी लोगों का दिल और दिमाग नहीं जीत सकते यदि वे धर्म और जाति पर आधारित विचारधाराओं की पेश करते हैं। जो मूल विश्वासों और बहुलवादी मान्यताओं से रहित हैं।
उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू, पंडित जवाहर लाल नेहरू, अब्दुल कलाम आजाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद थे। उन्हें अपने-अपने धर्मों की गहरी समझ थी, लेकिन उन्होंने विभाजन के बावजूद धार्मिक पहचान पर नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष आधार पर संविधान को डिजाइन करके आधुनिक भारतीय का निर्माण किया।
मनीष तिवारी का ये बयान राहुल गांधी के उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि हम हिन्दू हैं, हमें हिन्दुत्व की जरूरत नहीं है। इसी तरह कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी अपनी किताब में हिन्दुत्व पर टिप्पणी की है, जिसपर विवाद पैदा हो गया है।