Bihar Chunav Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में महागठबंधन में शामिल आरजेडी और कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। एनडीए की आंधी ऐसी चली कि MGB का संयुक्त आंकड़ा 40 तक नहीं जा पाया। सबसे ज्यादा सवाल कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन पर खड़े हो रहे हैं, जो कि महज 6 सीटों पर सिमट गई और चुनाव में हार के बाद पार्टी के अंदर नेताओं ने असंतोष व्यक्त करना शुरू कर दिया है।

दरअसल, एनडीए की बड़ी जीत के बाद बीजेपी दफ्तर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के भीतर एक नया धड़ा पैदा हो रहा है, जो इस नकारात्मक राजनीति से असहज है। कांग्रेस के नामदार जिस रास्ते पर पार्टी को लेकर चल रहे हैं, उसके प्रति लोगों में घोर में निराशा है। पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें आशंका है कि कांग्रेस का एक बड़ा विभाजन न हो जाए।

Bihar Election Result LIVE

कांग्रेस में उठने लगे सवाल

पीएम मोदी ने तो विरोधी होने के नाते ये सारी बातें कहीं थीं लेकिन अब कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही टिकट बंटवारे, बूथ स्तर पर कमजोरी और नेतृत्व में कमजोरी पर सवाल उठाए हैं। पटना में कांग्रेस नेता कृपानाथ पाठक ने कहा कि पार्टी के अंदर टॉप लीडरशिप तक सही जानकारी नहीं पहुंचाई गई, जिसके चलते चुनाव में चूक हुई। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हाईकमान अभी नहीं जागा, तो आने वाले समय में गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा।

यह भी पढ़ें: बिहार हारने के बाद टूटने वाली है कांग्रेस? अपनों ने हाईकमान पर दागे सवाल तो बढ़ी राहुल गांधी की टेंशन

बिहार कांग्रेस को ठेके पर दे दिया- अखिलेश सिंह

बिहार चुनाव के बाद ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी नतीजों पर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि हम लोगों की तरफ से ही गड़बड़िया हुई हैं टिकट बंटवारे में देरी हुई जिसका असर चुनावी नतीजों पर भी पड़ा है। अखिलेश ने बिहार कांग्रेस के चुनाव प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ये फ्रैंडली फाइट की नौबत की क्यों आई।

अखिलेश प्रसाद सिंह ने कांग्रेस-आरजेडी में संतुलन की कमी के मुद्दे पर कहा कि इसके लिए पूरी तरह से कृष्णा अल्लावरू और संजय याद ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगाकर बाहर के लोगों को बिहार कांग्रेस ठेके पर दे दिया गया। उन्होंने कहा कि इन नतीजों की गहन समीक्षा के बाद ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

यह भी पढ़ें: 2020 में खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार की वापसी- कैसे लिखी गई JDU की विजय गाथा?

मुमताज पटेल ने भी उठाए गंभीर सवाल

नेहरू-गांधी परिवार के खासम-खास दिवंगत नेता अहमद पटेल के बेटी मुमताज पटेल ने भी कांग्रेस पार्टी के आलाकमान पर सवाल खड़े किए। उन्होंने एक्स पर अपने एक पोस्ट में लिखा, “अब न बहाना चलेगा, न दोषारोपण पार्टी बार-बार इसलिए हार रही है क्योंकि सत्ता कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित हैं, जो जमीनी हकीकत से पूरी तरह कटा हुआ है। मुमताज पटेल ने कहा कि मुस्लिम वोट बैंक को हल्के में लिया जाता है। इसलिए जब भी उन्हें तीसरा विकल्प (एआईएमआईएम) मिलता है, वे उसी की ओर झुक जाते हैं।

यह भी पढ़ें: बीजेपी ने आरके सिंह को क्यों किया निष्कासित? कभी मोदी के माने जाते थे खास

बिहार चुनाव में दूसरे चरण की वोटिंग के बाद अचानक पार्टी से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता शकील अहमद ने भी पार्टी की नीतियों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने टिकट बंटवारे में अनियमितता की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि यदि आरोप सही हैं, तो अब कांग्रेस हाईकमान को कार्रवाई करनी चाहिए। AIMIM के विस्तार को लेकर शकील अहमद ने कहा कि यह कांग्रेस के लिए बेहद चिंता का विषय है।

शशि थरूर ने कांग्रेस पर उठाए सवाल

कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस पार्टी का रुख पहले की तुलना में ज्यादा वामपंथी हुआ है ताकि वह भारतीय जनता पार्टी की विभाजनकारी राजनीति का मुकाबला कर सके। हैदराबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में थरूर ने कहा कि उनकी पार्टी अब नीतियों और विचारधारा के स्तर पर ज्यादा वाम झुकाव रखती है जबकि मनमोहन सिंह के दौर में कांग्रेस ज्यादा केन्द्रवादी रुख अपनाती थी।

यह भी पढ़ें: दृष्टिकोण: क्या बिहार चुनाव परिणाम ने प्रशांत किशोर के दावों की हवा निकाल दी

राहुल गांधी के सामने चुनौती

सवाल यह भी उठ रहे हैं कि राहुल गांधी बिहार चुनाव में क्यों सीरियस नहीं नजर आए। वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के दौरान राहुल ने विरोध किया और वोट चोरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने पहले 15 अगस्त तक वोटर अधिकार यात्रा निकाली लेकिन 1 सितंबर के बाद से राहुल गांधी अगले एक महीने तक गायब हो गए। वे बिहार क्या देश से बाहर थे।

इसके अलावा राहुल गांधी ने बिहार चुनाव में ज्यादा प्रचार नहीं किया, जिसके चलते उन पर और कांग्रेस पार्टी पर सवाल खड़े हुए। वहीं जब चुनाव नतीजे सामने आए, तो यह साफ देखा गया कि जो मुद्दे राहुल ने उठाए, उनको लेकर कोई माहौल जमीन पर नहीं दिखा।

यह भी पढ़ें: 2020 के बिहार चुनाव में औंधे मुंह गिरे थे एग्जिट पोल, इस बार क्या हाल रहा, कौन सबसे सटीक?